वे मात्र 2 नामों कलाम, हमीद की दुहाई देकर दशकों तक जेहादियों का सच छुपाते रहे. मात्र 2 नामों का "नरेटिव" बनाकर आपको मूर्ख बनाते रहे, आप बनते रहे.
वही खेल वे दोबारा खेल रहे हैं, लेकिन आप सबक सीखने की बजाए पुनः जाल में फंसकर गाना गा रहे हैं शिकारी आएगा, दाने का लालच देगा, जाल फैलाएगा, जाल में मत फंसना. जाल में फंसकर कबूतरी राग.
वे अब सिखों की गौरवशाली गाथाओं की दुहाई देकर "खालिस्तानियों" पर पर्दा डाल रहे हैं. आप बैकफुट पर हैं. आप फिर मूर्ख बन रहे है.
आप कब तक सच्चाई से भागते रहेंगे ??
बहुत से मासूम हिन्दुओ की पोस्ट और कमेंट्स में देखा जा रहा कि वे मासूमियत से बोल रहे है "कुछ लोगो" के कारण दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन को खालिस्तानी नही कह सकते..
कहाँ से आते हैं ये "कुछ लोग" ?? यदि आते हैं तो "अच्छे लोग" तुरंत विरोध क्यों नही करते ?? क्यों प्रतीक्षा करते हैं तथाकथित "अच्छे लोग"..
ना ना आप इतिहास तो छोड़िए आप वर्तमान से भी सबक नही सीखना चाहते..
वे शाहीनबाग में असम को काटने के भाषण देते रहे. उनपर तालियां बजाते रहे. लेकिन विरोध होने पर कह दिया, हमारा इनसे कोई ताल्लुकात नही, शाहीनबाग संविधान बचाने का आंदोलन हैं. आप मूर्ख बनते रहे.
वे हिन्दू विरोधी नारो पर ताली बजाते रहे फिर भी आंदोलन सेक्युलर बताते रहे. आप मूर्ख बनते रहे.
वे तथाकथित "अच्छे लोग" आज उन्ही असम काटने वालो, देशद्रोही नारे लगाने वालों के समर्थन में खड़े हैं.
आप कलाम-हमीद की माला जपते रहे. आप मासूमियत भरे लहजे में कहते रहे. कुछ लोगो की वजह से शाहीनबाग देशद्रोही आंदोलन नही हो सकता.
आज भी आप वही कर रहे है. कुछ लोगो की वजह से किसान आंदोलन खालिस्तानी नही हैं कि माला जप रहे हैं.
क्योंकि आप "किसान नामक" नरेटिव के खिलाफ खड़े होने से डर रहे हैं. जैसे पहले आप प्रदूषण, गरीबी, मजदूर, मानवता जैसे नरेटिव के खिलाफ बोलने से डरते थे.
मोदी तेरी कब्र खुदेगी आज नही तो कल..
इन्दिरा को ठोंका था मोदी क्या चीज हैं..
इन नारो का किसानो से क्या लेना देना ?? किसान बिल से क्या लेना देना ?? किसान आंदोलन से क्या लेना देना ??
योगेंद्र यादव, मेधा पाटकर, भूषण का किसान आंदोलन से क्या लेना देना ??..
लेकिन आप फिर भी इसे किसान आंदोलन कहेंगे ?? भावनाओं में बहेंगे ?? उनकी सेना बनकर बिल वापिस करवाएंगे ?? फिर कहेंगे सरकार कमजोर है ??
क्योंकि आप किसान नरेटिव से डर रहे हैं...
आप आंदोलन में खालिस्तानियों की बात करेंगे वे पुनः अपने पुराने तरीको से सिखों की गौरवशाली गाथा गाएँगे.. खालिस्तानियों पर पर्दा डालने के लिए..
लेकिन आश्चर्य वे कभी ये नही बताएंगे महान सिख धर्मगुरुओं ने सनातन संग मिलकर मुगलो के विरुद्ध लड़ाई लड़ी थी. सिख पन्थ का जन्म ही मुगलो के अत्याचारों के विरुद्ध धर्म की रक्षा हेतु लड़ाई लड़ने के लिए हुआ था. मन्दिर का प्रसाद छोड़कर, मस्जिदों का लँगर खाने के लिए नही.
यही सिखों की गौरवशाली गाथा हैं. जो वे आपको कभी नही बताएंगे..
नरेटिव को समझना लड़ना व तोड़ना सीखे.. अन्यथा हिन्दू(हिन्दू सिक्ख बौद्ध जैन) स्वयं एक नरेटिव बनकर रह जाएगा पारसी सभ्यता की तरह...
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