क्या सच में दिल्ली के लोग मुफ्तखोर हैं ?

देश की दुर्दशा है, कि लोग अपनी सोच और मर्जी दूसरों पर थोपना चाहते हैं, दूसरों के सोच समझ, और पसन्द की कद्र नहीं करते। एक समुदाय के लोगों को दूसरे समुदाय के लोगों की सोच और समझ को पसंद नहीं करते। 

मोदी सरकार को इतना प्रचंड बहुमत मिला और जिस मेनिफेस्टो पर ये बहुमत मिला, उसी पर काम करने (CAA) पर उसका विरोध हो रहा है। वहीं दूसरी ओर दिल्ली में जनता के आदेश (जनादेश) का सम्मान होना चाहिए तो लोग वहाँ की जनता को मुफ्तखोर बात रहें हैं। दुर्भाग्य है इस देश का कि हर कोई बस अपनी पसंद थोपना चाहता है, दूसरों की पसंद की उन्हें बिल्कुल भी कद्र नहीं है।

जो खुद वहाँ नहीं रहते, वहाँ की व्यवस्था और सरकार के काम से अनभिज्ञ हैं, बस केजरीवाल के एक दो बयान से उसको बुरा मान कर बैठे हैं। हकीकत में फ्री शिक्षा, फ्री पानी, फ्री स्वस्थ सेवा, ये भारत के हरेक नागरिक का मौलिक अधिकार है. ARTICLE 21 भारत के हर नागरिक को जीने का मौलिक अधिकार देता है, चाहे कोई भी भारतीय नागरिक कितना भी निक्कमा और नकारा हो यदि वो भूखा, प्यासा और इलाज के अभाव में मरता है तो सरकार इसके लिए पूरी तरह जिम्मेदार है। ये मौलिक चीजें हर राज्य में फ्री होनी चाहिए। 

वैसे भी मुझे समझ नहीं आ रहा कि फ्री से आपको परेशानी क्या है? क्या केजरीवाल आपसे पैसे मांग रहा है? या उसने टैक्स बढ़ा दिए हैं? क्या दिल्ली पर बहुत कर्ज है? क्या दिल्ली को केंद्र सरकार ने पैसे दिए हैं? वो अपने टैक्स के पैसों का कैसे इस्तेमाल करता है ये उसका काम है। जिसके पास पैसा होगा वही तो लुटाएंगे, मोदी सरकार को पहले ही देश की अर्थव्यवस्था को अपने नीतियों से चकनाचूर कर चुकी है, क्या ऐसी स्थिति दिल्ही में है? फिर क्यों सवाल कर रहे हो? दिल्ली का वृतीय घाटा, सारे राज्यों में सबसे कम है। फिर चीजें फ्री होने से आपको तकलीफ क्या है? ये तो सवाल दूसरे राज्यों के सरकारों से पूछनी चाहिए, कि वो किसी को कुछ फ्री में दे ही नहीं रह तो वो कैसे घाटे में है, बाकि राज्य पैसों का करते क्या है? चाहिए मान लेते हैं मोदी जी सारा पैसा देश की सुरक्षा और हथियार खरीदने में लगा देते हैं, पर राज्य सरकारें क्या करती है? मै तो चाहता हूं कि भारत सरकार के सारे पैसे ऑनलाइन होनी चाहिए, कितना पैसा वो कहाँ से टैक्स से कमाता है और कहाँ कितना खर्च करता है? तब जा कर पाता चलेगा कि कौन कितना पैसा फिजूल खर्च कर रहा है। 

आखरी में बस इतना कहना चाहूंगा कि पूरी दुनिया जितने का सपना देखने वाले सिकंदर का क्या हाल हुए था आपको पता है। दिल्ली की जनता ने अपना फैसला ऑन दिया है, उसे मूर्ख समझना छोड़ उसके फैसले का सम्मान करें, अपने गलतियों से सबक लें। अपना पैसा और ध्यान उन समस्याओं पर लगायें जिसे आप दूर नहीं कर पा रहें, जैसे बेरोजगारी और भारत की गिरती अर्थव्यवस्था। हर जगह जितने का खाव छोड़ें। 

#ASKAzad

Post a Comment

0 Comments