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*टिप्स  किडनी खराब करने वाली इन दस आदतों से करें परहेज़ किडनी खराब करने वाली इन दस आदतों से करें परहेज़ सम्पादकीय विभाग के द्वारा*

*कई बार आवाज़ आने में कुछ क्षण का विलम्ब हो सकता है!*

हमारे शरीर में गुर्दा एक महत्वपूर्ण अंग है जिसे अंग्रेजी में हम किडनी (Kidney) बोलते हैं। गुर्दे का वजन लगभग 150 ग्राम का होता है। यह हमारे शरीर में पीछे कमर की ओर रीढ़ के ठीक नीचे के दोनों सिरों पर स्थित होता है। गुर्दा रक्त से जल और बेकार पदार्थो को अलग करता है। शरीर में रसायन पदार्थों का संतुलन और रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करता है। यह लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण में भी मदद करता है।

एक अनुमान के अनुसार हर 100 में 17 भारतीय गुर्दे की समस्या से परेशान हैं और लगातार इस की संख्या में वृद्धि होती जा रही है। गलत जीवन शैली, खान पान और मधुमेह के कारण गुर्दे की बीमारी होती है। तो आज हम गुर्दे की समस्या के कारण के बारे में जानते हैं।

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किडनी को स्वस्थ रखने के लिए न करें धूम्रपान - Smoking Effects On Kidneys In Hindi

धूम्रपान करने पर उस का गलत प्रभाव हमारे रक्तचाप पर पड़ता है। धूम्रपान हमारे दिल की धड़कन को बढ़ा देता है।

*क्रिएटिन लेव्हल बढा है या डायलेसिस शुरु है तो ओ भी आयुर्वेदिक एक्युप्रेशर से बंद कर सकते है*

*कीडनी*
क्रिएटिनिन (creatinine) का बड़ा हुआ लेवल किडनी सम्बंधित बीमारी या समस्याओं की ओर इशारा करता है। क्रिएटिनिन, प्रत्येक व्यक्ति के रक्त में पाया जाने वाला एक रद्दी उत्पाद (waste product) होता है। सामान्य स्थिति में आपकी किडनी को इसे छानकर आपके शरीर से बाहर निकाल देना चाहिये। परन्तु कुछ स्वास्थ्य सम्बंधित समस्यायें किडनी के इस कार्य में बाधा पहुंचाती हैं जिसके कारण क्रिएटिनिन बाहर नहीं निकल पाता है और रक्त में इसका स्तर बड़ने लगता है। ऐसे बहुत से तरीके हैं, जैसे कि आहार में परिवर्तन, जीवन शैली में कुछ बदलाव, दवा लेना और मेडिकल थेरैपी में भाग लेना, जिनसे आप बढ़े हुए क्रिएटिनिन लेवल को धटा सकते हैं।
क्रिएटिनिन क्या है यह जानें: क्रियेटिन, जो कि एक मेटाबोलिक पदार्थ है, भोजन को ऊर्जा में बदलने के लिये सहायता देते समय टूट कर क्रियेटिनन (जो एक वेस्ट पदार्थ होता है) में बदल जाता है।
आमतौर से आपकी किडनी क्रियेटिनन को छानकर रक्त से बाहर निकाल देती है। उसके बाद, यह वेस्ट पदार्थ मूत्र के साथ शरीर से बाहर निकल जाता है।
हाइ क्रिएटिनिन लेवल आपकी किडनी के समस्याग्रस्त होने का संकेत हो सकता है।
जाँच का मतलब समझें: क्रिएटिनिन की जाँच से यह पता चलता है कि आपके रक्त में कितनी मात्रा में क्रिएटिनिन उपस्थित है।
आपके डाक्टर द्वारा क्रिएटिनिन क्लियरेन्स टेस्ट (creatinine clearance test) करवाया जा सकता है जो यह बताता है कि आपके मूत्र में कितनी मात्रा में क्रिएटिनिन है। क्रिएटिनिन की मात्रा आपके रक्त में कम और मूत्र में अधिक होना चाहिये।
इस तरह के जाँच आपके किडनी के स्वास्थ्य का मात्र एक छाया-चित्र (snapshot) दिखाते हैं। ये जाँच परिणाम, पिछले 24 घण्टे में एक बार लिये गये रक्त और मूत्र के नमूने में उपस्थित, क्रिएटिनिन की मात्रा को दर्शाते हैं।
जाँच का विश्लेषण करें: क्रिएटिनिन लेवल की नॉर्मल रेंज इस बात पर निर्भर करती है कि आप कौन हैं, एक वयस्क पुरुष, वयस्क महिला, टीनेजर या बच्चा। आपमें क्रिएटिनिन की मात्रा कितनी होनी चाहिये यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि आपकी उम्र कितनी है और आकार कितना बड़ा है लेकिन कुछ साधारण रेन्ज हैं जिसमें आपको रहना चाहिये।
नॉर्मल ब्लड क्रिएटिनिन लेवल्स इस प्रकार हैं:
पुरुष: 0.6 to 1.2 mg/dL; 53 to 106 mcmol/L
महिला: 0.5 to 1.1 mg/dL; 44 to 97 mcmol/L
टीनेजर्स: 0.5 to 1.0 mg/dL
बच्चे: 0.3 to 0.7 mg/dL
नॉर्मल मूत्र क्रिएटिनिन लेवल्स इस प्रकार हैं:
पुरुष: 107 to 139 mL/min; 1.8 to 2.3 mL/sec
महिला: 87 to 107 mL/min; 1.5 to 1.8 mL/sec
40 वर्ष से ऊपर के किसी भी व्यक्ति के लिये: प्रत्येक 10 वर्ष की वृद्धि के बाद लेवल्स को 6.5 mL/min की दर से घटना चाहिये
क्रिएटिनिन लेवल्स क्यों बढ़ते हैं यह जानिये: आपके क्रिएटिनिन लेवेल्स बढ़ने के बहुत से कारण होते हैं; जिनमें से कुछ अन्य की तुलना में ज्यादा गम्भीर होते हैं लेकिन आपको बस इतना ही करना है कि आप ऐसे कदम उठायें जिससे आपका क्रिएटिनिन लेवल नॉर्मल रेन्ज में वापस आ जाये।
रीनल फेल्योर या इम्पेयरमेण्ट (Renal failure or impairment): यदि आपकी किडनी डैमेज हो चुकी हैं तो वे ग्लोमेरुलर फिल्ट्रेशन (Glomerular filtration) के द्वारा क्रिएटिनिन को छानकर आपके शरीर से बाहर उस तरह से नहीं निकाल सकते हैं जैसे सामान्यतया वे करते है। किडनी से छनित द्रव के बाहर निकलने की क्रिया को ग्लोमर्युलर फिल्ट्रेशन कहते हैं।
मांस-पेशियों की क्षति: यदि आपकी मांस-पेशियों क्षतिग्रस्त हैं तो टूटे हुए टिशूज आपके ब्लड-स्ट्रीम में मिल जाते हैं और फिर आपकी किडनी को कुप्रभावित करते हैं।
ज्यादा मीट खाने से: आपके आहार में पके हुए मीट की अधिकता होने से भी आपके शरीर में क्रिएटिनिन की मात्रा बढ़ सकती है।
हाइपोथायराइडिज्म (Hypothyroidism): आपके थायराइड में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी आपके किडनी के कार्य को कुप्रभावित कर सकता है। हाइपोथायराइडिज्म आपके किडनी की, वेस्ट पदार्थों को सुचारु रूप से, फिल्टर करने की क्षमता को घटा सकता है।

*डॉ जय प्रकाश झा*

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