राहत इंदौरी ने लिखा था "सभी का खून है शामिल यहाँ की मिट्टी में किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है " राहत इंदौरी का यह शेर इन दिनों खूब लिखा, बोला जा रहा है। अब मेरा जवाब भी पढिये, पसंद आये तो शेयर भी कीजियेगा। “ख़फ़ा होते हैं हो जाने दो, घर के मेहमान थोड़ी हैं जहाँ भर से लताड़े जा चुके हैं , इनका मान थोड़ी है। ये कान्हा राम की धरती, सजदा करना ही होगा मेरा वतन ये मेरी माँ है, लूट का सामान थोड़ी है। मैं जानता हूँ, घर में बन चुके हैं सैकड़ों भेदी जो सिक्कों में बिक जाए वो मेरा ईमान थोड़ी है। मेरे पुरखों ने सींचा है लहू के कतरे कतरे से बह…
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