*वात क्या होती है :वात या वायु तीनों दोषों में सबसे अधिक महत्वपूर्ण है | ‘वात’ या ‘वायु’ यह दोनों ही शब्द संस्कृत के वा गतिगन्धनयो: धातु से बने हैं, इसके अनुसार जो तत्व शरीर में गति या उत्साह उत्पन्न करें, वह वात अथवा वायु कहलाता है | इस प्रकार शरीर में सभी प्रकार की गतियां इसी वात के कारण होती है | वात को ही ‘प्राण’ भी कहा गया है | अथर्ववेद में ‘प्राणाय नमो यस्य सर्वमिदं वशे’ कहकर संपूर्ण ब्रहमांड को प्राण के वश में कहा गया है | चरक में वायु को ही अग्नि का प्रेरक, सभी इंद्रियों का प्रेरक तथा हर्ष व उत्साह का उत्पत्तिस्थान कहा गया है; क्योंकि …
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