इस रोग में चमडी मोटी होने लगती है और उस पर खुरंड और पपडियां उत्पन्न हो जाती हैं। ये पपडिया सफ़ेद चमकीली हो सकती हैं। इस रोग के भयानक रुप में पूरा शरीर मोटी लाल रंग की पपडीदार चमडी से ढक जाता है। यह रोग अधिकतर केहुनी,घुटनों और खोपडी पर होता है। यह रोग वैसे तो किसी भी आयु में हो सकता है लेकिन देखने में ऐसा आया है कि १० वर्ष से कम आयु में यह रोग बहुत कम होता है। १५ से ४० की उम्र वालों में यह रोग ज्यादा प्रचलित है। यह रोग आनुवांशिक भी होता है जो पीढी दर पीढी चलता रहता है। 1◆ बादाम १० नग का पावडर बनाले। इसे पानी में उबालें। यह दवा सोरियासिस रोग की…
✍🏻चर्म रोग कई प्रकार के होते हैं। जैसे कि- दाद, खाज, खुजली, छाछन, छाले, खसरा, फोड़े, फुंसी आदि। बहुत से मामलों में हम आयुवेदिक व घरेलू उपचार से रोग को ठीक कर सकते हैं, पर कई मामलो में एक अच्छे 🌺dermatologist से सलाह लेना उचित होता है। चर्म रोग में बहुत से लोगों को होमियोपैथी की दवाओं से भी काफी लाभ मिलता है। आज इस लेख में हम चर्म रोग ठीक करने के आयुर्वेदिक तरीकों के बारे में बात करेंगे। 🥀चर्म रोग होने के कारण : 🥀चर्म रोग होने के कई कारण हो सकते हैं: 🌾अधिकतर समय धूप में बिताने वाले लोगों को चर्म रोग होने का खतरा ज्यादा होता है। 🌾किसी एं…
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