कुछ लोग यह बात रखते हैं कि स्त्री यज्ञ करने की अधिकारिणी नहीं है, यहां तक कि #ओ३म् और #गायत्री मंत्र जपने का भी उन्हें अधिकार नहीं है। उनकी यह बात श्रुति प्रमाण के बिलकुल विरुद्ध है। स्त्री के यज्ञ करने के अनेक प्रमाण है किन्तु श्रुति का प्रमाण अन्य शब्द प्रमाणों से अधिक प्रबल है इसलिए हम प्रथम श्रुति के प्रमाण लिखते हैं - "शुद्धा: पूता योषित यज्ञिया इमा: -अर्थववेद ६/१२२/५ शुद्ध और पवित्र स्त्रियां यज्ञ के योग्य है। या दम्पति समनसा सुनुत आ च धावत: | देवासो नित्ययाशिरा - ऋग्वेद ८/३१/५ स्त्री पुरुष दोनों को इकट्ठे हो कर प्रशंसा पूर्वक यज्…
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