गुड़मार का पेड़ भारत, अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया के उष्णकटिबंधीय वनों में पाया जाता है जिसका वैज्ञानिक नाम है, जिमनामा सिल्वेस्टर (Gymnema sylvestre)।
आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में इसका उपयोग हज़ारों साल से इसके पत्तों का उपयोग किया जाता रहा है। यह डायबिटीज, मलेरिया और सर्पदंश के इलाज में उपयोगी है। यह बूटी शर्करा (Sugar) के अवशोषण को रोकने में मदद करती है इसलिए यह पश्चिमी चिकित्सा विज्ञान में भी शोध का लोकप्रिय विषय बन गया है।
गुड़मार का उपयोग डायबिटीज के अलावा अन्य बीमारियों के उपचार के लिए भी किया जा सकता है, जैसे वजन कम करने और लिपिड कम करने में मदद करना आदि। इसके अलावा इसमें एंटीएलर्जेनिक और एंटीवायरल गुण भी होते हैं। गुड़मार जलन-सूजन कम कर सकता है और इस तरह यह मुक्त कणों (Free Radicals) के हानिकारक प्रभावों से शरीर की रक्षा करने में मदद करता है। इसका उपयोग अस्थमा, आँखों की समस्याओं, ऑस्टियोपोरोसिस, हाइपरकोलेस्टेरोलिया, कार्डियोपैथी, कब्ज, माइक्रोबियल संक्रमण, अपच आदि के इलाज में किया जाता है। गुड़मार में कुछ एंटी-एथेरोस्लेरोटिक (Anti-Atherosclerotic) गुण होते हैं जिससे यह धमनियों में वसा के जमाव को रोकता है। इसके अलावा गुड़मार रक्त शर्करा के स्तर को कम करने में मदद करता है। गुड़मार का सेवन लिपिड की मात्रा को कम करने में मदद कर सकता है।
गुड़मार का सेवन टाइप 2 डायबिटीज में बहुत लाभकारी है। गुड़मार की पत्तियों में ऐसे गुण होते हैं जिससे मीठा खाने की तलब कम होती है। साथ ही इससे टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित व्यक्तियों में हाइपरग्लायसेमिया नियंत्रित होता है। इस तरह यह टाइप 2 डायबिटीज कम करने का कारगर उपचार है।
रक्त में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बहुत अधिक बढ़ने से हृदय रोग का जोखिम बढ़ सकता है। इसे कम करने के लिए दुनिया भर में गुड़मार का उपयोग किया जाता है। गुड़मार हानिकारक एलडीएल कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड को कम करने में मदद कर सकता है।
गुड़मार में कुछ एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं जो हानिकारक कोलेस्ट्रॉल और आँतों में ट्राइग्लिसराइड के अवशोषण से बचाते हैं। इसके अलावा यह ब्लड शुगर के स्तर को कम करने और मीठा खाने की तलब रोकने में भी लाभकारी है जिससे वसा का अवशोषण और लिपिड स्तर प्रभावित हो सकता है। अधिक वसा वाले आहार को लेकर चूहों पर किये गए एक अध्ययन के अनुसार गुड़मार वजन नियंत्रित रखने और लिवर पर वसा के जमाव को रोकने में मदद करता है।
हाइपरटेंशन या उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) से भारत में 20 लाख से भी अधिक वयस्क प्रभावित हैं। यह एक महत्वपूर्ण समस्या है जिससे स्ट्रोक, दिल का दौरा, हृदय रोग, हृदय गति रुकना, किडनी का काम करना बंद करना और अन्य गंभीर स्थितियां पैदा हो सकती हैं। हाई ब्लड प्रेशर के सामान्य लक्षणों में गंभीर सिरदर्द, मतली, उल्टी, नाक से खून बहना आदि शामिल होता हैं। यदि इनमें से कोई भी लक्षण (जरूरी नहीं है कि सभी लक्षण ब्लड प्रेशर के ही हों) दिखें तो इन पर ध्यान दें। गुड़मार में जिम्नेमिक नाम का एसिड होता है जो हमारे शरीर में मौजूद एक प्रोटीन एंजियोटेंसिन II (जो रक्तचाप को बढ़ाने के लिए जाना जाता है) की गतिविधि रोकने में मदद करता है जिससे ब्लड प्रेशर कम करने में मदद मिलती है। पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (पीसीओडी) महिलाओं की ओवरी (अंडाशय) से जुड़ी समस्या है। इसमें महिलाओं में यौन हार्मोन असंतुलित हो जाते हैं। यह समस्या आम तौर पर मोटापे की शिकार महिलाओं में पाई जाती है। उनमें से 30-40 प्रतिशत महिलाएं ग्लूकोज सहिष्णुता के स्तर से प्रभावित पाई गई हैं। गुड़मार में एंटी ऑक्सीडेंट गुण होते हैं जो कार्बोहाइड्रेट और शर्करा खाने की तलब कम करते हैं जिससे मोटापा कम करने में मदद मिलती है।
पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम या पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं में बांझपन की समस्या हो सकती है। पीसीओएस को नियंत्रित करने के लिए उपयुक्त आहार और पूरक पदार्थों का सेवन करना फायदेमंद हो सकता है।
ब्लड शुगर के स्तर को कम करने के लिए सैकड़ों साल से गुड़मार का उपयोग किया जा रहा है। साथ ही यह पीसीओडी सिंड्रोम के लिए भी लाभकारी सिद्ध हुआ है।
गुड़मार से बने पूरक पदार्थ लिवर की सुरक्षा के लिए टॉनिक का काम करते हैं। तमिलनाडु के मदुरै स्थित सिरुमलै पहाड़ियों में रहने वाली पलीयार जनजातियां पीलिया के इलाज के लिए गुड़मार की पत्तियों का उपयोग करती है क्योंकि इसमें लिवर को ठीक करने वाले गुण होते हैं।
गुड़मार कैप्सूल में बैक्टीरिया-रोधी गुण होते हैं जिनका उपयोग त्वचा विकारों और संक्रमणों के इलाज के लिए किया जाता है। डायबिटीज में ऐसी परेशानियां होना आम है। गुड़मार का उपयोग त्वचा पर सफेद दाग (ल्यूकोर्डमा) के प्राकृतिक उपचार तौर पर किया जाता है। इसका उपयोग सौन्दर्य प्रसाधनों में किया जाता है।
मोटापा शरीर में चर्बी और कार्बोहाइड्रेट जमा होने के कारण होता है। डायबिटीज से पीड़ित लोगों में मोटापा अनुवांशिक और आम होता है। एक परिकल्पना के अनुसार डायबिटीज, जिम्नेमिक एसिड और मोटापे के बीच सम्बन्ध है। कुछ शोधों में पाया गया कि गुड़मार के अर्क से पशुओं और मनुष्यों में वजन कम करने में मदद करने में मदद मिली।
गुड़मार डायबिटीज कम करने में उपयोगी है। तीन सप्ताह तक किये गए एक अध्ययन से पता चला है कि जिन चूहों को गुड़मार का अर्क दिया गया, उनका वजन कम हुआ। गुड़मार में मौजूद जिम्नेमिक एसिड, रक्त में रक्त में शर्करा का अवशोषण कम कर देता है। यह मीठा खाने की तलब भी कम करता है जो मोटापे से ग्रस्त लोगों की आम समस्या है। इसके अलावा एक अन्य अध्ययन के तहत 60 लोगों को गुड़मार के अर्क का सेवन करने से वजन को 5-6% कम करने में मदद मिली और उनके भोजन की मात्रा भी कम हुई।
गुड़मार गठिया जैसी बीमारियों का लोकप्रिय पारंपरिक उपचार है। कई मरीजों को इसके सेवन से लाभ मिला और इससे गठिया उभरने से रोकने में मदद मिली। इसमें जलन-सूजन कम करने वाले गुण होते हैं जिससे गठिया के इलाज में मदद मिलती है। गुड़मार अच्छे किस्म का मूत्रवर्धक (diuretic) भी है। इससे वजन कम करने में मदद मिलती है।
गुड़मार के नुकसान -
# इसके अधिक सेवन से सिरदर्द, मतली और चक्कर आना जैसे दुष्प्रभाव दिख सकते हैं।
# जिन्हें मिल्कवीड (जिन पौधों से दूधिया रस निकलता है) से एलर्जी हो उन्हें इससे बचना चाहिए।
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