शिशु रोग विशेषज्ञों के पास माता-पिता अकसर यह शिकायत लेकर आते हैं कि शिशु दूध पीते ही या दूध पीने के 10-15 मिनट के भीतर 2-3 चम्मच के बराबर दूध की मुँह से पिचकारी सी मारता है या थूक देता है। निकला हुआ दूध ताजा ही होता है। यह फटा हुआ, दही जैसा या खट्टी गंध का नहीं होता। यह शिकायत 6 महीने के छोटे बच्चों में होती है और 6 माह की आयु के बाद आमतौर पर स्वत: ठीक हो जाती है।*
*कारण :*
*कुछ नवजात शिशु कुछ महीने तक पीया हुआ दूध थूकते रहते हैं। ये ऐसा इसलिए करते हैं, क्योंकि पीने के बाद दूध बार-बार इनके मुँह में आ जाता है। इसका मुख्य कारण पेट से मुँह की ओर की अवरोधक मांसपेशियों की कमी है। यह 6 महीने से 1 वर्ष की आयु तक सामान्य है। चूंकि शिशु ज्यादातर जब लेटे रहते है तो दूध, जो कि तरल पदार्थ है, आसानी से मुँह में आ जाता है। यदि जरूरत से ज्यादा दूध पिलाया जाए तो यह जरूर पेट से मुँह में आएगा।*
*क्या करें :*
*1. जहाँ तक हो सके, शिशु को बैठकर ही स्तनपान कराएँ। लिटाकर न कराएँ।*
*2. स्तनपान कराते हुए बीच-बीच में रुकें व उसे डकार दिलाएँ। जरूरी नहीं है कि स्तनपान समाप्त करने पर ही डकार दिलाएँ, पहले भी दिला सकती हैं।*
*3. दूध पिलाने (स्तनपान) के बाद शिशु को 15-20 मिनट कंधे से लगाकर घुमाएँ व पीठ सहलाएँ। इससे वह आसानी से डकार ले लेगा।*
*4. इसके बाद शिशु को करवट से लिटाएँ। इसके 15-20 मिनट के बाद उसे पीठ के बल लिटा दें।*
*5. डायपर (लँगोट) पेट पर ढीले बाँधे, कसे नहीं।*
*6. यदि बोतल से दूध देते हों तो एक आउंस (30 मि.ली.) कम बोतल भरें ।कम दूध देने पर दूध उलटी करना काफी कम हो जाएगा। यदि एक हफ्ते तक कम न हो तो देने वाले दूध की मात्रा एक आउंस (30 मि.ली.) और कम कर दें।*
*7. स्तनपान करनेवाले शिशु को हर बार अंदाजन पाँच मिनट स्तनपान कम कराएँ।*
*8. स्तनपान कराने या दूध की बोतल देने में तीन घंटे का अंतराल रखें । यदि उपरोक्तउपायों के बाद भी दूध उलटी करना कम न हो, उलटी वाले दूध में खून हो, खाँसी हो या बच्चा कमजोर होने लगे तो शिशु रोग विशेषज्ञ से संपर्क करें। या होमेओपेथी की एथूजा व ईपीकॉक दोनो 30ch की एक एक बून्द एक चम्मच पानी में मिलाकर हर 3 4 घण्टे पर दें इससे भी 24 घण्टे पर आराम न होने पर चिकित्सक को जरूर दिखाये*
*लक्षणों के घटने का प्राकृतिक क्रम :*
*जब शिशु 6 महीने का हो जाता है, तब वह बैठना शुरू कर देता है। ठोस भोजन भी खाने लगता है। पेट व फूड पाइप की अवरोधिका, मांसपेशियाँ भी विकसित हो जाती हैं। इसलिए 6-7 महीने की आयु होने पर शिशु दूध उलटी करना, थूकना अपने आप बंद कर देता है।*
*दूध न पचना :*
*मां का दूध छुड़ाकर ऊपरी दूध पिलाने पर यदि शिशु को न पच रहा हो, तो दूध में एक जायफल डालकर खूब उबालें। फिर ठंडा करके पिलाएं। इससे दूध आसानी से हजम होगा और मल बंधा, दुर्गन्ध रहित होगा।*
*नींबू के रस की कुछ बूंदे पानी में मिलाकर पिलाने से बच्चा दूध पीने के बाद दूध वापस मुंह से बाहर नहीं निकालता है*
*आप से विनती है आप अपना परिचय व देश समाज परिवार हित हेतु सन्देश देते हुए अपनी समस्या व अपनाये गए उपचार व हो रहे लाभ का उल्लेख करते हुए ऑडियो बनाकर भेजे जिससे इसे शेयर कर सकूँ जिसे सुनकर अन्य भाई बहन का विश्वास् ज्ञान बढे व उनका परिवार भी स्वस्थसमृद्ध बना रहे आपका अनुज अग्रज गोविन्द शरण प्रसाद वंदेमातरम जयहिन्द*
*निरोगी रहने हेतु महामन्त्र*
*मन्त्र 1 :-*
*• भोजन व पानी के सेवन प्राकृतिक नियमानुसार करें*
*• रिफाइन्ड नमक,रिफाइन्ड तेल,रिफाइन्ड शक्कर (चीनी) व रिफाइन्ड आटा ( मैदा ) का सेवन न करें*
*• विकारों को पनपने न दें (काम,क्रोध, लोभ,मोह,इर्ष्या,)*
*• वेगो को न रोकें ( मल,मुत्र,प्यास,जंभाई, हंसी,अश्रु,वीर्य,अपानवायु, भूख,छींक,डकार,वमन,नींद,)*
*• एल्मुनियम बर्तन का उपयोग न करें ( मिट्टी के सर्वोत्तम)*
*• मोटे अनाज व छिलके वाली दालों का अत्यद्धिक सेवन करें*
*• भगवान में श्रद्धा व विश्वास रखें*
*मन्त्र 2 :-*
*• पथ्य भोजन ही करें ( जंक फूड न खाएं)*
*• भोजन को पचने दें ( भोजन करते समय पानी न पीयें एक या दो घुट भोजन के बाद जरूर पिये व डेढ़ घण्टे बाद पानी जरूर पिये)*
*• सुबह उठेते ही 2 से 3 गिलास गुनगुने पानी का सेवन कर शौच क्रिया को जाये*
*• ठंडा पानी बर्फ के पानी का सेवन न करें*
*• पानी हमेशा बैठ कर घुट घुट कर पिये*
*• बार बार भोजन न करें आर्थत एक भोजन पूर्णतः पचने के बाद ही दूसरा भोजन करें*
*उस भोजन को ग्रहण कदापि न करें जिसे बनते हुए सूर्य प्रकाश न मिला हो अर्थात (कुकर का, फ्रीज़ का रखा व माइक्रोवेव का बना हो)*
*भाई राजीव दीक्षित जी के सपने स्वस्थ समृद्ध स्वदेशी स्वावलंबी स्वाभिमानी परिवार समाज भारत राष्ट्र के निर्माण में एक पहल आप सब भी अपने अपने जीवन मे भाई राजीव दीक्षित जी के व्यख्यानों को अवश्य सुनें व यथसम्भव प्रचार प्रसार करें*
*स्वदेशीमय भारत ही हमारा अंतिम लक्ष्य है :- भाई राजीव दीक्षित जी*
*मैं भारत को भारतीयता के मान्यता के आधार पर फिर से खड़ा करना चाहता हूँ उस काम मे लगा हुआ हूँ*
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