Memory training basics

मेमोरी ट्रेनिंग का उद्देस्य तो आप सभी समझते है कि अपने याद करने की क्षमता को कैसे बढ़ाया जा सकता है। ये सवाल हमेसा से ही विद्यार्थियों का बड़ा सवाल रहा है क्योंकि वो स्कूल ,कॉलेज या कॉम्पटीशन की तैयारी कर रहे हैं तो बड़े बड़े डेटा को दिमाग मे सुरक्षित रखना होता है ताकि सही समय पर वो काम दे सके। पर ये आम जन के लिए भी उतना ही जरूरी है जितना कि विद्यार्थियों को। कई लोग में ऐसे काम मे होते हैं जिनमे लगातार पढ़ाई की जाती है तो ऐसे लोगो को भी मेमोरी ट्रेनिंग की जरूरत होती है।

मेमोरी ट्रेनिंग में हम सभी इस विषय की गहराई को जानते हैं कि आखिर हम किस तरह अपनी याद करने की क्षमता को बढ़ा सकते हैं।

मेमोरी के प्रकार- हमारे 5 ज्ञानेन्द्रियाँ है। आंख,नाक,कान, त्वचा,जीभ इन सबसे बाहर से सूचना दिमाग को प्राप्त होती है। आंख से जो बातें दिमाग मे गई और याद हो गई वो विसुअल मेमोरी कहलाई, कान से जो बात दिमाग तक गई वो ऑडियो मेमोरी कहलाई। यही दो मेमोरी प्रमुख है जिसकी चर्चा हम सभी मेमोरी ट्रेनिंग में करते हैं।

शार्ट टर्म,लांग टर्म, सेंसरी मेमोरी- जो मेमोरी सिग्नल केवल कुछ समय के लिए रहता है वो सेंसरी मेमोरी कहलाती है इसे वेरी शार्ट टर्म मेमोरी कहते हैं।  पर जो मेमोरी कुछ घंटे तएक रहती है वो शार्ट टर्म मेमोरी कहलाती है। ये बाते कुछ घंटे याद तो रहते ही हैं। पर कुछ बाते हमेसा याद रहती है ये लांग टर्म मेमोरी कहलाती है।

मेमोरी ट्रेनिंग में हम सभी अभ्यास के द्वारा सेंसरी मेमोरी को क्लियर करेंगे ताकि ये स्पष्ट हो। स्पष्ट सेंसरी मेमोरी ही आगे जाकर शार्ट टर्म मेमोरी और फिर लांग टर्म मेमोरी बनता है।

साथ ही 5 सेंसरी ऑर्गन (ज्ञानेन्द्रियाँ) के द्वारा स्पष्ट रूप से डेटा का दिमाग मे प्रिंट बने उसके लिए विशेष योग या एक्सरसाइज करते हैं। इनको न्यूरोकाइनेटिक एक्सरसाइज भी कहते हैं। है प्रत्येक स्टूडेंट के लिए एक जैसा ही होगा। इससे स्वाभाविक रूप से मेमोरी बढ़ेगी।

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