किसान आन्दोलन : मेरी शंका और सन्देह के घेरे को सोनिया गांधी के इर्द गिर्द और ज्यादा कसती जा रही हैं

किसान के भेष में घूम रहे खूनी गुंडे पंजाब से दिल्ली तक नारा लगा रहे हैं कि "पहले इंदिरा की छाती में ठोंकी अब मोदी की छाती में ठोंक देंगे."

किसान के भेष में दिल्ली में घुसने की कोशिश कर रहे यही खूनी गुंडे मीडिया के कैमरों पर खुलेआम बोल रहे हैं कि "इमरान खान तो हमारा यार है, हमारा दुश्मन तो दिल्ली में बैठा है."

पंजाब से दिल्ली तक मंडरा रहे इन खूनी गुंडों आतंकवादियों के जत्थों में आतंकवादी भिंडरावाले के पोस्टर और खालिस्तानी झंडे भी लहरा रहे हैं, खालिस्तानी नारे भी गूंज रहे हैं.

लेकिन ये घटनाएं मुझे बिल्कुल नहीं चौंका रही हैं क्योंकि पड़ोस में जब पाकिस्तान और चीन सरीखे दुश्मन बैठे हों तो देश को कभी ना खत्म होने वाला ऐसा युद्ध तब तक लड़ना ही होगा जबतक पाकिस्तान खत्म नहीं हो जाता.

मुझे ये घटनाएं दूसरे कारण से चौंका रही हैं और सोनिया गांधी के इर्द गिर्द मेरी शंका और सन्देह के घेरे को और ज्यादा कसती जा रही हैं.

"पहले इंदिरा की छाती में ठोंकी अब मोदी की छाती में ठोंक देंगे" सरीखा खूनी ऐलान किसान बनकर जो खूनी गुंडे कर रहे हैं. उनके झुंड का समर्थन पंजाब का कांग्रेसी मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह अपनी पूरी ताकत से और खुलकर कर रहा है.

राहुल गांधी समेत पूरी कांग्रेस भी किसान भेष वाले उन खूनी गुंडों हत्यारों के हुड़दंग और हंगामे का समर्थन कर प्रचंड समर्थन कर रही है.

इस पूरे कांग्रेसी गिरोह की प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ नारकीय स्तर पर पहुंच चुकी घृणा के कारण उसकी इस घृणित करतूत का औचित्य भी समझ में आ रहा है.

लेकिन...खुलेआम खुद को इंदिरा गांधी का हत्यारा घोषित कर रहे उन गुंडों को कांग्रेस अपना प्रचंड समर्थन क्यों दे रही है जो... बेखौफ दावा कर रहे हैं कि "पहले इंदिरा गांधी की छाती में ठोंकी"

ध्यान रहे कि इन हत्यारों का समर्थन वो राहुल गांधी और सोनिया गांधी कर रहे हैं जो चुनावी रैलियों में इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की मौत के नाम पर वोट बटोरने की कोशिश करते रहते हैं. दुहाई देते रहते हैं कि आतंकवाद से लड़ाई में मैंने अपनी सास को, मैंने अपने बाप को खोया है.

इससे पहले भी देश देख चुका है कि सोनिया गांधी उस करुणानिधि के साथ खुलकर हाथ मिला कर दस साल तक कांग्रेसी सरकार चलाती रही है जिस करुणा निधि पर जैन कमीशन ने राजीव गांधी की हत्या के लिए सीधे उंगली उठायी थी.

जैन कमीशन की उस रिपोर्ट के बाद कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था कि करुणानिधि से हाथ मिलाकर कांग्रेस उसके साथ गठबंधन कर सकती है. खासकर तब जब कि कांग्रेस की सर्वेसर्वा कोई और नहीं बल्कि राजीव गांधी की पत्नी, बेटा और बेटी हों.

राजीव गांधी की हत्या के 17 साल बाद मार्च 2008 में भी प्रियंका वाड्रा जेल में बंद नलिनी से गुप्त रूप से जाकर मिली थी और उससे बार बार यही सवाल पूछा था कि राजीव गांधी हत्याकांड का मास्टर माइंड कौन था.? उस हत्याकांड में और कौन कौन शामिल था.?

17 साल के दौरान राजीव हत्याकांड की पूरी जांच हो चुकी थी. जो जिंदा बचे थे उन अपराधियों को मृत्युदंड और उम्रकैद की सजा दी जा चुकी थी. इसके बाद भी जेल जाकर प्रियंका वाड्रा का नलिनी से किया गया वह सवाल बता रहा था कि राजीव गांधी की हत्या के पीछे का पूरा सच अभी सामने नहीं आया है. कुछ ऐसा है जो बहुत महत्वपूर्ण है लेकिन अभी उजागर नहीं हुआ है.

इसीलिए दिल्ली में किसान बनकर घूम रहे हत्यारों गुंडों के गिरोह को कांग्रेस द्वारा प्रचंड समर्थन दिए की घटनाएं चौंका रही हैं, मेरी शंका और सन्देह के घेरे को सोनिया गांधी के इर्द गिर्द और ज्यादा कसती जा रही हैं.

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