राई

🌼🌼विभिन्न भाषाओं में नाम :
🍃हिन्दी: राई
🍃संस्कृत: राजिका, राजी, आसुरी, तीक्ष्णगंधा।
🍃गुजराती: राई
🍃मराठी: मोहरी
🌾बंगाली: राई, सरिशा

🌺गुण : राई तेज, गर्म, कफ पित्तनाशक, रक्त्तपितकारक, जलन को नाश करने वाली तथा कुष्ठ (कोढ़), खुजली और कीड़े को खत्म करती है।स्नेहा समुह
💐विशेष : थोड़ी मात्रा में राई का सेवन भूख बढ़ाने वाला, पाचन शक्ति बढ़ाने वाला और पसीना लाने वाला है। इसका अधिक मात्रा में सेवन करने से उल्टी भी हो सकती है। राई का लेप आयुर्वेद चिकित्सा शास्त्र में बहुत प्रसिद्ध है।
💐राई के पत्तों की सब्जी : राई के पत्तों को साग चटपटा, गर्म, शक्तिवर्धक, स्वादिष्ट, पित्तकारक, कीड़े को नाश करने वाला, वात-कफ नाशक और गले के रोगों को समाप्त करने वाला है।
🌼तेल : राई का तेल भूख बढ़ाता है। इसके अलावा यह सिर दर्द, कान के रोग, कोढ़, पेट के कीड़े और शीतपित्त को दूर करता है। यह खासतौर पर पेशाब करने में होनी वाली कठिनाइयां जैसी बीमारियों को दूर करता है।
🍂रासायनिक संघटन : राई के बीज में मायरोसीन, सिनिग्रिन, तेल और सिनपीन प्रभृति द्रव्य पाये जाते हैं।
🌷🌷🌷विभिन्न रोगों में सहायक :
1.🍁 सन्निपातज भ्रम : सन्निपातज भ्रम की स्थिति में गले पर राई का लेप करें। त्वचा लाल होने पर इसे हटाकर घी, तेल लगा दें।
2🍂. गांठ : शरीर के किसी भी अंग में यदि गांठ हो तो राई और थोड़ी सी कालीमिर्च के चूर्ण को घी में मिलाकर लेप करने से गांठ को बढ़ने से रोका जा सकता है। गांठ को पकाने के लिए, गुड़, गुग्गुल और राई को बारीक पीसकर, पानी में मिलाकर, कपड़े की पट्टी पर लेप कर चिपका दें। इससे गांठ पककर बिखर जायेगी।
🥀3. कर्णमूलशोथ (कान की सूजन) : सन्निपात बुखार में या कान में पस होने पर कान की जड़ में सूजन आ जाती है, इसमें राई के आटे को सरसों के तेल या एरंड तेल में मिलाकर लेपकर देने से खून बिखर जाता है।
4🌺. आंखों की पलकों पर फुंसी : आंख की पलकों पर फुन्सी होने पर राई के चूर्ण को घी में मिलाकर लेप करने से जल्द राहत मिलती है।
5🌻. नाक में फोड़ा होना (पीनस रोग) : 10 ग्राम राई का आटा, कपूर डेढ़ ग्राम और घी 100 ग्राम का मलहम बनाकर लगाने से, छींके आकर पीप, कफ (बलगम) आदि निकलकर जख्म ठीक हो जाते हैं। कपूर और कत्थे को घी में मिलाकर मलहम बनाकर जख्म पर लगाने से जख्म भर जाता है।
6🌾. सिर का दर्द : माथे पर राई का लेप लगाने से सिर के दर्द में राहत मिलती है।
🌸7. बाल गिरना : राई के हिम या फांट से सिर धोने से बाल गिरना बंद हो जाते हैं। सिर में फोड़े-फुन्सी, जुएं और खुजली आदि रोग खत्म हो जाते हैं।
8. हृदयरोग : हृदय (दिल) की शिथिलता में हृदय (दिल) में कम्पन या वेदना हो, बेचैनी हो, कमजोरी महसूस होती है, तब हाथ-पैरों पर राई के चूर्ण की मालिश करने से लाभ होता है।
🍃9. हैजा
हैजे में जब रोगी को बहुत उल्टी और दस्त होते हो तो राई के लेप से उल्टी और दस्त बंद हो जाते हैं।
हैजे की शुरुआत में 1 ग्राम राई को चीनी के साथ मिलाकर खाने से लाभ होता है।
किसी भी तरह की उल्टी और दस्त राई के लेप से बंद हो जाते हैं।
🍃10. अर्श (बवासीर) : बवासीर के मस्सों में खुजली लगती है। देखने में मोटे और छूने में दर्द न होता हो, छूने पर अच्छा लगता हो, राई का तेल लगाने से ऐसे बवासीर के मस्से मुरझा जाते हैं।
🍂11. पेट दर्द और अपच : राई का 1 से 2 ग्राम चूर्ण चीनी में मिलाकर फांक लें, ऊपर से आधा कप पानी पी लें।
🥀12. अफारा : 2 ग्राम राई में चीनी मिलाकर फांक लें तथा ऊपर से लगभग आधा ग्राम से 1 ग्राम चूने को आधा कप पानी में मिलाकर पिलाने से अफारा (पेट की गैस) को दूर किया जा सकता है।स्नेहा समुह
🌹13. मासिक धर्म की रुकावट : मासिक-धर्म की रुकावट में, मासिक-धर्म में दर्द होता हैं या स्राव कम होता हो, तब गुनगुने पानी में राई के चूर्ण को मिलाकर, स्त्री को कमर तक डूबे पानी में बिठाने से मासिक-धर्म की रुकावट में लाभ होता है।
1🌺4. गर्भाशय की वेदना : गर्भाशय के दर्द या काफी तेज दर्द में नाभि के नीचे या कमर पर राई के प्लास्टर का इस्तेमाल लगातार करना चाहिए।
🍃15. गर्भाशय का कैंसर : गर्भाशय में कैंसर होने पर सप्ताह में 2 से 3 बार राई के गुनगुने पानी की पिचकारी द्वारा धोने से लाभ होता है। इसके लिए ग्राम राई को 1 कप ठंडे पानी में भिगो लें, फिर इसे मसलकर लुआब बनाकर 750 मिलीलीटर गुनगुने पानी में मिला लें।
🌹16. कफ प्रकोप : खांसी में कफ (बलगम) गाढ़ा हो जाने पर बलगम आसानी से न निकलता हो तो, लगभग आधा ग्राम राई, लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग सेंधानमक और मिश्री मिलाकर सुबह-शाम देने से कफ (बलगम) पतला होकर बलगम आसानी से बाहर निकलने लगता है।
🥀17. सायटिका दर्द : वेदना (दर्द) के स्थान पर राई का लेप लगाने से सायटिका के दर्द में लाभ होता है।
🌺18. जोड़ों पर दर्द और सूजन : आमवात या सुजाक (गोनोरिया) के कारण जोड़ों पर दर्द और सूजन हो तथा नये अर्धांगवात से सुन्न हुए अंग पर राई के लेप में कपूर मिलाकर मालिश करने से बहुत लाभ होता है।
💐19. वातवेदना :
राई और चीनी को पीसकर, कपड़े की पट्टी पर लेपकर दर्द युक्त स्थान पर लगाने से लाभ मिलता है।
वेदना (दर्द) हल्की-हल्की कई दिनों तक बनी रहे, राई और सहजने की छाल को मट्ठे में पीसकर पतला-पतला लेप करने से लाभ होता है।
🌻20. शरीर की आंतरिक जलन और सूजन : जिन रोगों के साथ सूजन रहती है तथा शरीर के भीतर जलन रहती है, ऐसे रोगों में राई का लेप फायदेमंद होता है। फेफड़ों की सूजन, फेफड़ों के कोष की सूजन, लीवर (यकृत) कोष की सूजन, श्वास नलिका (सांस की नली) में सूजन हो, सिर (दिमाग) के रोगों की सूजन में राई का लेप बहुत फायदेमंद है। हृदयदौर्बल्य (दिल की कमजोरी) में हाथ-पैरों और हृदय (दिल) के ऊपर राई का लेप किया जाता है।
21🥀. कांटा : त्वचा के अन्दर कांटे या धातु के कण घुस जाये तो राई के आटे में घी और शहद मिलाकर लेप करने से कांटा ऊपर आ जाता है, और दिखाई देने लगता है।,
22. 🍂🍂🍁स्नेहा आयूर्वेद ग्रुप
🥀. कुष्ठ (कोढ़)
राई के आटे को 8 गुने गाय के घी में मिलाकर लेप करने से कोढ़ के दाग दूर हो जाते हैं।
एक्जिमा, दाद, पामा (खुजली) आदि पर राई का मलहम लगाने से लाभ होता है।
🌺23. कर्णश्राव व व्रण (कान का बहना और घाव) :
100 मिलीलीटर सरसों के तेल या तिल तेल को अच्छी तरह से उबालें, जब इसमें उबाल आ जाए तो आंच बंद कर दें, फिर कुछ शीतल (ठंडा) होने पर 10 ग्राम राई, 10 ग्राम लहसुन और डेढ़ ग्राम कपूर डालकर ढककर रख दें। शीतल (ठंडा) होने पर छानकर, बोतल में भरकर रख लें, कान में 4 से 5 बूंद डालते रहने से स्राव (कान का बहना) दूर हो जाता है और घाव (जख्म) भर जाता है।
घाव (जख्म) या फोड़े में कीड़े पड़ गये हो तो, राई के 24 ग्राम चूर्ण में शहद मिलाकर लेप लगाने से कान के सारे कीड़े नष्ट हो जाते हैं।
🌻24. सूजन :
हाथ-पैर मुड़ जाने से दर्द सूजन आ जाये तो एरंड के पत्तों पर राई का लेप चुपड़कर गुनगुना करके बांध देने से सूजन खत्म हो जाती है।
राई और नमक को पानी में पीसकर लेप करने से भी सूजन उतर जाती है।
🌺25. विष का प्रभाव :
अफीम के जहर के असर से या सांप के जहर के असर से रोगी यदि बेहोश हो गया हो तो कांख, छाती, जंघा आदि स्थानों पर राई का लेप लगाने से बेहोशी खत्म हो जाती है। बेहोशी खत्म होने पर लेप अधिक से अधिक एक घंटे तक रखें। राई के 10 ग्राम चूर्ण को ठंडे पानी में पीसकर 1 से डेढ़ गिलास पानी में डालकर पिला दें। इससे उल्टी होकर शरीर का जहर तुरन्त ही जहर निकल जाता है।
बुखार और विसूचिका (हैजा) में भी मूर्च्छा आ जाने पर कांख, छाती और जंघा पर राई का लेप असरदायक होता है।
🌻26. लेप बनाने की विधि :
राई का लेप हमेशा ठंडे पानी में बनायें। राई का लेप सीधे त्वचा पर न लगायें, इससे फोड़े-फुंसी आदि होने का डर रहता है। त्वचा के लाल होने पर इस लेप को उतार दें और शरीर के उस अंग को अच्छी तरह पोंछकर वहां पर घी या तेल लगा दें। राई को ठंडे पानी के साथ बारीक पीसकर लेप को साफ मलमल के कपड़े पर पतला-पतला लेपकर कपड़े को रोगी के अंग पर रख दें।
आंतरिक प्रयोग के लिए राई का छिलका उतारकर प्रयोग करें, राई को हल्के पानी में भिगोकर हिलाते रहें, इसके बाद इसे चक्की में से निकालकर जब छिलका उतर जाए तो सुखा लें तथा पीसकर आटा बनाकर शीशी में सुरक्षित रख लें।
💐27. वातवृद्धि : राई के तेल में पूरी या पकौड़े तलकर खायें। राई के तेल से मालिश करें, गुनगुने पानी से स्नान करें। सावधानी : सिर, आंख आदि नाजुक अंगों पर राई के तेल की मालिश नहीं करनी चाहिए।
🌺. राई का प्लास्टर या लेप :
राई की पोटली बनाने के लिए, जवान व्यक्ति के इस्तेमाल हेतु 3 ग्राम अलसी का चूर्ण और 1 ग्राम राई को ठंडे पानी में घोटकर बनायें।
बच्चों के लिए 1 ग्राम राई का चूर्ण तथा अलसी का चूर्ण 10 से 15 ग्राम अधिक लें।
10, 20 और 30 मिनट में चमड़ी लाल होने पर पोटली या लेप को हटा दें।
1 ग्राम राई का लेप और राई का चूर्ण और 3 ग्राम गेहूं या चावल के आटे को ठंडे पानी में घोलकर आवश्यकतानुसार बनाकर इस्तेमाल में लायें।स्नेहा समुह
राई की पोटली या लेप कपड़े पर लगाकर प्रयोग करें।
🌼29. कफज्वर : जीभ पर सफेद मैल जम जाये, भूख, प्यास न लगती हो साथ-साथ हल्का बुखार भी रहता हो, ऐसे लक्षणों में राई का आटा लगभग आधा ग्राम सुबह-शाम शहद के साथ चाटने से लाभ मिलता है।
3🌻0. अजीर्ण : राई को तेल लगाकर निगल जाने से पेट का दर्द दूर हो जाता है। 3 ग्राम राई का चूर्ण पानी के साथ खाने से पेट का दर्द और अजीर्ण (भूख न लगना) नष्ट हो जाता है।
🌸31. मृतगर्भ (गर्भ में मरा हुआ बच्चा) : राई और हींग का 3 ग्राम चूर्ण स्टार्च (कांजी) के साथ रोगी को खिलाने से मृतगर्भ (मरा हुआ बच्चा) बाहर निकल जाता है।
🌼. टायफायड : सन्निपात (टायफायड) के बुखार में शरीर ठंडामें शरीर ठंडा पड़ जाए तब गर्मी लाने के लिए राई के तेल की मालिश करनी चाहिए। जुकाम से भी पैर ठंडे पड़ जाते हो तो राई का लेप लाभदायक है।
🍃33. वायु रोग : राई के तेल की मालिश करने से वायुरोग में राहत मिलती है।
💐34. दन्तशूल (दांतों का दर्द) : राई को गुनगुने पानी में मिलाकर कुल्ला करने से दांतों के दर्द में राहत मिलती है।
🌺35. वायु विकार : 4 ग्राम पिसी हुई राई और 4 ग्राम गुड़ को मिलाकर सुबह-शाम गुनगुने पानी में मिलाकर पीने से वायु विकार के रोग दूर हो जाते हैं।
🍃36. रतौंधी (रात में न दिखाई देना) : 1 ग्राम राई को पीसकर 25 ग्राम पानी में मिलाकर छान लें और 2 बूंद नाक की उल्टी और सुबह सूरज निकलने से पहले डालें।
🌻37. जीभ का स्वाद ठीक करना : पानी में 10 ग्राम राई को डालकर उबाल लें। इस पानी से रोजाना सुबह-शाम कुल्ला करने से जबान का स्वाद ठीक होता है।

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