*रमजान स्पेशल*
क़ुरान में आपके लिए क्या लिखा है वो जाने सभी लिंक और सबूत के साथ और मुस्लिम के कार्यो को इन क़ुरान के आदेश से मिला कर सोचे ,आपको भविष्य में होने वाली मुस्लिम आतंगवाद की खबर पहले ही पड़ जाएगी और आप अपना बचाव भी कर पाओगे
1- ''फिर, जब पवित्र महीने (रमजान का महीना) बीत जाऐं, तो 'मुश्रिको' (मूर्तिपूजको ) को जहाँ-कहीं पाओ कत्ल करो, और पकड़ो और उन्हें घेरो और हर घातकी जगह उनकी ताक में बैठो। (कुरान मजीद, पा० १०, सूरा. ९, आयत ५,२ख पृ. ३६८) (कुरान 9:5);
2- ''हे 'ईमान' लाने वालो (केवल एक आल्ला को मानने वालो ) 'मुश्रिक' (मूर्तिपूजक) नापाक (अपवित्र) हैं।'' (१०.९.२८ पृ. ३७१) (कुरान 9:28);
3- ''निःसंदेह 'काफिर (गैर-मुस्लिम) तुम्हारे खुले दुश्मन हैं।'' (५.४.१०१.पृ. २३९) (कुरान 4:101);
4- ''हे 'ईमान' लाने वालों! (मुसलमानों) उन 'काफिरों' (गैर-मुस्लिमो) से लड़ो जो तुम्हारे आस पास हैं, और चाहिए कि वे तुममें सखती पायें।'' (११.९.१२३ पृ. ३९१) (कुरान 9:123);
5- ''जिन लोगों ने हमारी ''आयतों'' का इन्कार किया (इस्लाम व कुरान को मानने से इंकार) , उन्हें हम जल्द अग्नि में झोंक देंगे। जब उनकी खालें पक जाएंगी तो हम उन्हें दूसरी खालों से बदल देंगे ताकि वे यातना का रसास्वादन कर लें। निःसन्देह अल्लाह प्रभुत्वशाली तत्वदर्शी हैं'' (कुरान 4:56);
6- ''हे 'ईमान' लाने वालों! (मुसलमानों) अपने बापों और भाईयों को अपना मित्र मत बनाओ यदि वे ईमान की अपेक्षा 'कुफ्र' (इस्लाम को धोखा) को पसन्द करें। और तुम में से जो कोई उनसे मित्रता का नाता जोड़ेगा, तो ऐसे ही लोग जालिम होंगे'' (१०.९.२३ पृ.३७०) (कुरान 9:23);
7- ''अल्लाह 'काफिर' लोगों (गैर-मुस्लिमो ) को मार्ग नहीं दिखाता'' (१०.९.३७ पृ. ३७४) (कुरान 9:37);
8- '' ऐ ईमान (अल्ला पर यकिन) लानेवालो! तुमसे पहले जिनको किताब दी गई थी, जिन्होंने तुम्हारे धर्म को हँसी- खेल बना लिया है, उन्हें और इनकार करनेवालों को अपना मित्र न बनाओ। और अल्लाह का डर रखों यदि तुम ईमानवाले हो (६.५.५७ पृ. २६८) (कुरान 5:57);
9- ''फिटकारे हुए, (मुनाफिक) मूर्तिपूजक जहां कही पाए जाऐंगे पकड़े जाएंगे और बुरी तरह कत्ल किए जाएंगे।'' (२२.३३.६१ पृ. ७५९) (कुरान 33:61);
10- ''(कहा जाऐगा): निश्चय ही तुम और वह जिसे तुम अल्लाह के सिवा (दूसरे भगवान को मानना) पूजते थे'जहन्नम' का ईधन हो। तुम अवश्य उसके घाट उतरोगे।'' (कुरान 21:98);
11- 'और उस से बढ़कर जालिम कौन होगा जिसे उसके 'रब' की आयतों के द्वारा चेताया जाये और फिर वह उनसे मुँह फेर ले (इस्लाम छोड दे) निश्चय ही हमें ऐसे अपराधियों से बदला लेना है।'' (२१.३२.२२ पृ.७३६) (कुरान 32:22);
12- 'अल्लाह ने तुमसे बहुत सी 'गनीमतों' (लूट का माल ) का वादा किया है जो तुम्हारे हाथ आयेंगी,''(२६.४८.२० पृ. ९४३) (कुरान 48:20);
13- ''तो जो कुछ गनीमत (लूट का माल जैसे लूटा हुआ धन या औरते) तुमने हासिल किया है उसे हलाल (valid) व पाक समझ कर खाओ (उपयोग करो)' (१०.८.६९. पृ. ३५९) (कुरान 8:69);
14- ''हे नबी! 'काफिरों' और 'मुनाफिकों' के साथ जिहाद करो (आतंकवादी बनकर गैर-मुस्लिमो का कत्ल) और उन पर सखती करो और उनका ठिकाना 'जहन्नम' है, और बुरी जगह है जहाँ पहुँचे'' (२८.६६.९.पृ. १०५५) (कुरान 66:9);
15- 'तो अवश्य हम 'कुफ्र' (इस्लाम को धोखा देने वालो) करने वालों को यातना का मजा चखायेंगे, और अवश्य ही हम उन्हें सबसे बुरा बदला देंगे उस कर्म का जो वे करते थे।'' (२४.४१.२७ पृ. ८६५) (कुरान 41:27);
16- ''यह बदला है अल्लाह के शत्रुओं का ('जहन्नम' की) आग (गैर-मुस्लिमो को नर्क )। इसी में उनका सदा का घर है, इसके बदले में कि हमारी 'आयतों' का इन्कार(इस्लाम व कुरान को नही अपनाना) करते थे।'' (२४.४१.२८ पृ. ८६५) (कुरान 41:28);
17- ''निःसंदेह अल्लाह ने 'ईमानवालों' (मुसलमानों) से उनके प्राणों और उनके मालों को इसके बदले में खरीद लिया है कि उनके लिए 'जन्नत' हैः वे अल्लाह के मार्ग में लड़ते हैं तो मारते भी हैं (इस्लाम फैलाने के लिये आतंकवादी बन कर गैर-मुस्लिमो को मारना व जबरन इस्लाम कबूलवाना) और मारे भी जाते हैं।'' (११.९.१११ पृ. ३८८) (कुरान 9:111);
18- ''अल्लाह ने इन 'मुनाफिक' पुरुषों और मुनाफिक स्त्रियों और काफिरों से 'जहन्नम' की आग का वादा किया है जिसमें वे सदा रहेंगे। यही उन्हें बस है। अल्लाह ने उन्हें लानत की और उनके लिए स्थायी यातना है। (गैर-मुस्लिम सदा नर्क मे रहेगे )'' (१०.९.६८ पृ. ३७९) (कुरान 9:68);
19- ''हे नबी! 'ईमानवालों' (मुसलमानों) को लड़ाई पर उभारो। यदि तुम में बीस जमे रहने वाले होंगे तो वे दो सौ पर प्रभुत्व प्राप्त करेंगे, और यदि तुम में सौ हो तो एक हजार काफिरों (गैर-मुसलमानो) पर भारी रहेंगे' (१०.८.६५ पृ. ३५८) (कुरान 8:65);
20- ''हे 'ईमान' लाने वालों! तुम यहूदियों और ईसाईयों को मित्र संबंध न बनाओ। (६.५.५१ पृ. २६७) (कुरान 5:51);
21- उनसे लड़ो यहाँ तक कि वे अप्रतिष्ठित (अपमानित) होकर अपने हाथों से 'जजिया' देने लगे।'' (गैर-मुसलिमो पर जजिया tax) (१०.९.२९. पृ.३७२) (कुरान 9:29);
22-फिर हमने उनके बीच कियामत के दिन तक के लिये वैमनस्य और द्वेष की आग भड़का दी, और अल्लाह जल्द उन्हें बता देगा जो कुछ वे करते रहे हैं। (६.५.१४ पृ. २६०) (कुरान 5:14)
23- ''वे चाहते हैं कि जिस तरह से वे काफिर (गैर-मुस्लिम) हुए हैं उसी तरह से तुम भी 'काफिर' हो जाओ, फिर तुम एक जैसे हो जाओः तो उनमें से किसी को अपना साथी न बनाना जब तक वे अल्लाह की राह में हिजरत न करें, और यदि वे इससे फिर जावें तो उन्हें जहाँ कहीं पाओं पकड़ों और उनका वध (कत्ल) करो। और उनमें से किसी को साथी और सहायक मत बनाना।'' (५.४.८९ पृ. २३७) (कुरान 4:89)
24- ''उन (काफिरों) गैर-मुस्लिमो से लड़ों! अल्लाह तुम्हारे हाथों उन्हें यातना देगा, और उन्हें रुसवा करेगा और उनके मुकाबले में तुम्हारी सहायता करेगा, और 'ईमान' वालों लोगों के दिल ठंडे करे
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