ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र

सनातन हिंदू धर्म के चौथे स्तम्भ यानी शुद्र जाति के कुछ संगठन और लोग आजकल बाकी तीनो स्तम्भों पर आरोप लगाते है! की शुद्र को दबाया गया कुचला गया कुछ हद तक सही है ये लेकिन ये कहाँ तक उचित है की अगर आप पर जुल्म हुवे तो उसे गा गा कर दुनिया को सुनाये और उसी जाति ने जब आपको अपने सर आखों पर बिठाया तो उसका नाम भी ना लें ?
क्षत्रिय कुल वधु मीरा के गुरु एक शुद्र जाति के थे नाम है संत रैदास !
भगवान् राम के पिता दशरथ के मंत्री सुमंत शुद्र थे!
महर्षि वाल्मीकि जिन्होंने कालजयी ग्रन्थ रामायण की रचना की वो शुद्र ही थे!
अयोध्या में 1990 में राममंदिर की शिला रखने वाले कामेश्वर शुद्र थे!
वाराणसी में शंकराचार्य ने डोम के घर खाना खाया था!
विश्व प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर में पूजा का अधिकार शबर यानी शुद्र को ही है!
महाभारत में जिस मत्रिमंडल का वर्णन है जिसमे 54 सदस्य है! उनमे 4 ब्राह्मण 18 क्षत्रिय ,21 वैश्य और 3 शुद्र और 1 सूत के लिए आरक्षित था!
क्या आप इसे ब्राह्मणवादी प्रधान संस्कृति कहेंगे ? हिन्दू धर्म जातियां हमेशा कर्म आधारित रही है जैसे।
लोहे का काम करने वाला लोहार।
सोने का काम करने वाला सोनार।
और चमड़े का काम करने वाला चमार।
क्षत्रिय यानी क्षत यानी चोट से रक्षा करने वाला क्षत्रिय माना जाता था!
मुर्दा छूने वाला डोम दाग देने वाला!
रजस्वला स्त्री और घृणित कार्य करने वालों को अछूत माना जाता था!

आदिवासी शब्द 1931 में सबसे पहले अंग्रेजो के द्वारा उपयोग किया गया आदिवासियों का धर्म परिवर्तन तथा भारत की धार्मिक एकता को तोड़ने के लिए!
वैसे ही गुंडा शब्द!
वैसे ही दलित शब्द 1970 में पहली बार प्रयोग किया गया!
राजनीतिक स्वार्थ के लिए कांशीराम ने बहुजन शब्द का इस्तेमाल 1984 में पहली बार किया! जिस आदिवासी, दलित और बहुजन शब्द का इस्तेमाल शूद्रों से वोट लेने के लिए किया गया वो शब्द भारतीय संविधान में आपको कहीं नहीं मिलेगा!

अम्बेडकर खुद शूद्रों को सूर्यवंशी क्षत्रिय कहते थे और ये भी कहते थे शुद्र राजा शूद्रक की वंशज हैं और जो लोग वर्तमान जातिप्रथा के लिए मनु स्मृति को दोष देते हैं उन्हें पता होना चाहिए की मनु समृति सतयुग के लिए बनी थी!
कलयुग के लिए परासर स्मृति है!
वैसे ही जैसे द्वापर के लिए शंख स्मृति और त्रेता युग के लिए गौतम स्मृति का निर्माण किया गया था!

भारत में जाति प्रथा केवल नेताओं और राजनीतिक पार्टियों ने पैदा किया अंग्रेजों के लिखे देश विरोधी इतिहास का आधार लेकर और जिन ब्राह्मणों को लोग आज गाली देते हैं उनकी जानकारी के लिए बता दूँ की :
चाणक्य ने कुटिया को अपना निवास स्थान चुना।
सुदामा जैसे ब्राह्मण मधु को इक्कठा कर अपना जीवन यापन करते थे!
द्रोणाचार्य इतने गरीब थे कि अपने पुत्र को सतुवा घोल कर पिलाए पर कभी अपने जीवन में गोदान नहीं माँगा। जबकि उस समय दूध की नदियाँ बहती थी ।
द्रोणाचार्य अर्जुन को चक्रव्हूह भेदने का रहस्य जमीन पे रेखा चित्र बनाकर समझा रहे थे तभी उनका पुत्र अस्वस्थामा वहां आ गया, द्रोणाचार्य ने तुरंत उस रेखाचित्र को मिटा दिया की कहीं उनका पुत्र वो विद्या ना सिख ले...! ऐसे ब्राह्मण थे द्रोणाचार्य!
क्या यही ब्राह्मणवाद है ?
अंग्रेज, मार्क्सवादी, कम्युनिस्ट, साम्यवादी वगैरह जो भी आया भारतीयों को बर्बाद कर गया!
कारण यह है की बिना सच को जानें हमने सबपर विश्वास किया। हमने कभी नहीं सोचा हमारे देश की संस्कृति, धर्म और आर्थिक स्थिति क्यों सबसे महान थी। बस यही हमारी गलती है और आज भी हम जात पात, धर्म में बंट चुके है और महान भारत की महान संस्कृति को भूल चुके है! या बिना सच को जाने उस महान भारतीय संस्कृति का विरोध करते है! समझ में नहीं आता हम भारतीय ही है या भारत के दुश्मन...???

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