छठ पूजाः जानिए क्यों सूर्य भगवान की पूजा के बाद भी कहते हैं छठी मैया का त्याेहार

कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से चार दिन का छठ पर्व शुरू हो जाता है। षष्‍ठी और सप्तमी को जल में खड़े होकर भगवान सूर्य अर्घ्य दिया जाता है। छठ पर्व में सूर्य भगवान की पूजा की जाती है फिर भी इसे सूर्य पूजा कहने की बजाय छठ पर्व के नाम से जाना जाता है। छठ पर्व के गीतों और भजनों में भी छठ पर्व में भगवान सूर्य की पूजा की जाती है, लेकिन फिर भी इसे छठी मैया का त्याेहार कहा जाता है। माना जाता है कि छठ मैया के प्रसन्न होने से संतान सुख की प्राप्ति होती है। छठ मैया के इन्हीं गुणों के कारण सूर्य पूजा को छठ पर्व के रूप में मान्यता मिली।

देवी भागवत पुराण के अनुसार राजा प्रियव्रत विवाह के कई वर्षों बाद भी संतान सुख के लिए तरसते रहे। संतान सुख पाने के लिए इन्होंने सूर्य की उपासना की। सूर्य की कृपा से प्रियव्रत के घर बालक का जन्म हुआ, लेकिन जन्म लेते ही बालक की मृत्यु हो गयी। प्रियव्रत बहुत दुःखी हुए। बालक के शव को लेकर श्मशान पहुंचे। श्मशान में बच्चे के मृत शरीर को देखकर प्रियव्रत के अंदर जीने की इच्छा खत्म हो गई। इसी समय प्रियव्रत के सामने एक देवी प्रकट हुई।

प्रियव्रत ने देवी की पूजा की और मृत बालक को जीवनदान देने की प्रार्थना करने लगे। प्रियव्रत की भक्ति से प्रसन्न होकर देवी ने राजा प्रियव्रत से कहा कि मैं ब्रह्माजी की मानस पुत्री देवसेना हूं। कुमार कार्तिकेय मेरे पति हैं। मूल प्रकृति के छठे अंश से उत्पन्न होने के कारण मैं षष्ठी कहलाती हूं। देवी ने प्रियव्रत के मृत बालक को पुनर्जीवित कर दिया। जिस दिन प्रियव्रत के मृत बालक को षष्ठी देवी ने जीवित किया वह कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि थी। 

इसके बाद राजा प्रियव्रत ने छठ पर्व किया। सूर्य की कृपा से प्राप्त बालक को षष्ठी देवी ने पुनर्जीवन दिया, जिससे कार्तिक शुक्ल षष्ठी तिथि को सूर्य को अर्घ्य देकर छठ मैय्या की पूजा की जाती है।

एक अन्य कथा के अनुसार कुमार कार्तिकेय का जन्म होने के बाद कार्तिकेय को सुरक्षित रखने के लिए अग्नि देव ने कुमार कार्तिकेय को गंगा को सौंप दिया। गंगा ने कार्तिकेय को सरकंडे के वन में रख दिया। इस वन में छह कृतिकाएं निवास करती थीं। कृतिकाओं ने कुमार कार्तिकेय को अपना पुत्र मान लिया और अपने साथ ले गईं। कृतिकाओं ने कार्तिकेय का पालन-पोषण किया। यही छह कृतिकाएं छठी माता कहलाती हैं। 

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