जानिये क्यों पास नहीं हुआ आज तक गौहत्या रोकने का कोई बिल ?
अंग्रेज़ बहुत चालाक थे ! किसी भी गलत काम को करने से पहले उसको कानून बना कर फिर करते थे और कहते थे हम तो कानून का पालन कर रहे हैं !!
भारत मे पहला गौ का कत्लखाना 1707 ईस्वी ने रॉबर्ट क्लाएव ने खोला था और उसमे रोज की 32 से 35 हजार गाय काटी जाती थी तो कितना बडा़ कत्लखाना होगा अंदाजा लगा सकते हैं! और तब हाथ से गाय काटी जाती थी ! तो कितने कसाई उन्होने रखे होंगे, सोचीए
आजादी के 5 साल बाद 1952 मे पहली बार संसद मे ये बात उठी कि गौ रक्षा होनी चाहिए ! गाय के सभी कत्लखाने जो भारत में अंग्रेज़ो ने शुरू किए थे बंद होने चाहिए और यही गांधी जी कि आत्मा को सही श्रद्धांजलि होगी ! क्युंकी ये उनके आजाद भारत के सपनों मे से पहले नंबर पर था !
गांधी के परम शिष्य नेहरू खड़ा हुआ और बोला,ठीक है अगर गौ रक्षा का कानून बनना चाहिए तो इस पर संसद मे प्रस्ताव आना चाहिए। संसद मे एक सांसद हुआ करते थे "महावीर त्यागी" वो आर्य समाजी थे और सोनीपत से अकेले चुनाव लड़ा करते थे !सबसे पहला चुनाव 1952 मे हुआ और वो बहुत भयंकर वोटो से जीत कर आए थे !
महावीर त्यागी ने कहा ठीक है मैं अपने नाम से प्रस्ताव लाता हूँ ! तो प्रस्ताव आया उस पर बहस हुई ! बहस के बाद तय हुआ कि इस पर वोट किया जाय!जब वोट करने का दिन आया तब पंडित नेहरू ने एक बयान दिया!जो कि लोकसभा के रेकॉर्ड मे है आप चाहे तो पढ़ सकते हैं ! नेहरू ने कहा अगर ये प्रस्ताव पारित हुआ तो मैं शाम को इस्तीफा दे दूंगा !
मतलब ??
गौ रक्षा अगर हो गई इस देश मे! तो मैं प्रधानमंत्री नहीं रहूँगा !परिणाम क्या हुआ जो कांग्रेसी नेता संसद मे गौ रक्षा के लिए वोट डालने को तैयार हुए थे, वे नेहरू का ये वाक्य सुनते ही सब पलट गए! उस जमाने मे क्या होता था कि नेहरू जी अगर पद छोड़ देंगे तो देश का क्या होगा ?? क्यूंकि वल्लभ भाई पटेल का स्वर्गवास हो चुका था !
तब कांग्रेसी नेताओ मे चिंता रहती थी कि अगर नेहरू जी भी चले जायेंगे तो कांग्रेस का क्या होगा और पता नही अगली बार जीतेंगे या नहीं जीतेंगे और उस समय ऐसी बात चलती थी nehru is india, india is नेहरू (और ये कांग्रेसीयो कि आदत है indra is india, india is indra) सभी कांग्रेसी पलट गए और संसद मे हंगामा कर दिया और गौ रक्षा के कानून पर वोट नहीं हुआ। और अगले दिन महावीर त्यागी को सब ने मजबूर कर दिया और उनको प्रस्ताव वापिस लेना पड़ा !
महावीर त्यागी ने प्रस्ताव वापिस लेते समय बहुत ही जबर्दस्त भाषण दिया! उन्होने कहा पंडित नेहरू मैं तुमको याद दिलाता हूँ !तुम गांधी जी के परम शिष्य हो और गांधी जी ने कहा था भारत आजाद होने के बाद जब पहली सरकार बनेगी तो पहला कानून गौ रक्षा का बनेगा ! अब आप ही इस से हट रहे है तो हम कैसे माने कि आप गांधी जी के परम शिष्य है ??? और कहा मैं आपको आपके पुराने भाषणो कि याद दिलाता हूँ ! जो आपने कई बार अलग अलग जगह पर दिये है ! और सबमे एक ही बात कही है कि मुझे कत्लखानों से घिन्न आती है, इन सबको तो एक मिनट मे बंद करना चाहिए! ये देख मेरी आत्मा घबराती है ये आपने कितनी बार कहा लेकिन जब कानून बनाने का समय आया तब अपनी बात से पलट रहे हो ?!
नेहरू ने इन सब बातों का कोई जवाब नहीं दिया और चुप बैठा रहा और बात आई गई हो गई ! फिर एक दिन 1956 मे नेहरू ने सभी मुख्य मंत्रियो को एक चिट्ठी लिखी वो भी संसद के रेकॉर्ड मे है!अब नेहरू का कौन सा स्वरूप सही था और कौन सा गलत ! ये तय करने का समय आ गया हैं !
जब वे गांधी जी के साथ मंचपर होते थे तब भाषण करते थे कि कत्लखानों के आगे से गुजरता हूँ तो घिन्न आती है और मेरी आत्मा चीखती है! ये सभी कत्लखाने जल्द बंद होने चाहिए! और जब वे प्रधानमंत्री बनते है तो मुख्य मंत्रियो को चिट्ठी लिखते हैं ! कि गाय का कत्ल बंद मत करो क्यूं की इससे विदेशी मुद्रा मिलती है !
उस पत्र का अंतिम वाक्य बहुत खतरनाक था उसमे नेहरू लिख रहा है मान लो हमने गाय ह्त्याबंद करवा दी और गौ रक्षा होने लगी तो सारी दुनिया हम पर हंसेगी कि हम भारत को 18 वी शताब्दी मे ले जा रहे हैं !
अर्थात नेहरू को ये लगता था कि गाय का कत्ल होने से देश 21 वी शताब्दी मे जा रहा है ! और गौ रक्षा होने से 18 वी शताब्दी कि और जाएगा ! राजीव भाई का हृदय इस पत्र को पढ़ कर बहुत दुखी हुआ! राजीव भाई के एक बहुत अच्छे मित्र थे उनका नाम था रवि राय। वे लोकसभा के अधक्ष्य रह चुके थे !उनकी मदद से ये पत्र संसद कि लाएब्रेरी मे से मिला और उसकी फोटो कॉपी रख ली गई !!
अब आगे कि बात करें नेहरू के बाद से आजतक गौ ह्त्या रोकने का बिल पास क्यूँ नहीं हुआ !???
दस्तावेज़ बताते हैं इसके बाद के दो ऐसे प्रधानमंत्री हुए जिन्होने पूरी ईमानदारी से गौ ह्त्या रोकने का कानून लाने की कोशिश की ! उनमे से एक थे श्री लाल बहादुर शास्त्री और दूसरे श्री मुरारजी भाई देसाई !!
श्री मुरार जी भाई ये कानून पास करवा पाते कि उनकी सरकार गिर गई ! या दूसरे शब्दो मे कहे सरकार गिरा दी गई ! क्योंकि वही एक मात्र ऐसे प्रधानमंत्री थे !
जिन्होने बहुत हिम्मत वाला काम किया था, अमेरिका कि कंपनी coca cola को 3 दिन का नोटिस दिया और भारत से भगा दिया और ऐसा नोटिस केवल coco cola को नहीं बल्कि एक और बड़ी विदेशी कंपनी HUL (Hindustaan Uniliver ) को भी दिया और ऐसे करते करते काफी विदेशी कंपनियो को नोटिस जारी किया कि जल्दी से जल्दी तुम भारत छोड़ो !
इसके अलावा उन्होने एक और बढ़िया काम किया था गुजरात मे शराब पर प्रतिबंध लगा दिया ! और वो आजतक है हालांकि वो बात अलग है कि Black मे कहीं शराब मिल जाती है पर कानूनी रूप से प्रतिबंध है और उन्होंने कहा था ऐसा मैं पूरे भारत मे करूंगा और जल्दी से गौ रक्षा का कानून भी लाऊँगा और गौ ह्त्या करने वाले को कम से कम फांसी कि सजा होगी !
देश मे शराब बेचने वाले,गौ ह्त्या करने वाले और विदेशी कंपनी वाले ! ये तीनों lobby सरकार के खिलाफ थी इन तीनों ने मिल कर कोई षडयंत्र रचा होगा जिससे मुरार जी भाई की सरकार गिर गई !!
लालबहादुर शास्त्री जी ने भी गौ ह्त्या बंद का कानून बनाना चाहा पर वो ताशकंद गए ! और फिर कभी जीवित वापीस नहीं लोटे !!
और अंत 2003 मे श्री अटल बिहारी वाजपेयी की NDA सरकार ने गौ ह्त्या पर सुबह संसद मे बिल पेश किया और शाम को वापिस ले लिया !!
क्यूं ??
अटल जी की सरकार को उस समय दो पार्टियां समर्थन कर रही थी एक थी तेलगु देशम और दूसरी त्रिमूल कॉंग्रेस ! दोनों ने लोकसभा मे कहा अगर गौ ह्त्या पर कानून पास हुआ तो समर्थन वापिस ले लेंगे !!
बाहर मीडिया वालों ने ममता बनर्जी से पूछा की आप गौ ह्त्या क्यूँ नहीं बंद होने देना चाहती ??
ममता ने कहा गाय का मांस खाना मौलिक अधिकार है
कोई कैसे रोक सकता है ??
तो किसी ने कहा आप तो ब्राह्मण है तो ममता ने कहा बेशक हूँ !!
अंत में अटलजी को अपनी सरकार बचाना गौ ह्त्या रोकने से ज्यादा बड़ा लगा ! और उन्होने बिल वापिस ले लिया !
फिर 2003 के बाद कॉंग्रेस आ गई ! इससे तो वैसे कोई अपेक्षा नहीं कि जा सकती ! गौ ह्त्या रोकना तो दूर मनमोहन जी ने भारत को दुनिया मे गाय का मांस निर्यात करने वाले देशो कि सूची मे तीसरे नंबर पर ला दिया !!
वर्तमान भारत में प्रतिवर्ष एक करोड़ से अधिक गायों की हत्या होती है तथा एक लाख टन गौमांस विदेशों में निर्यात किया जा रहा है।
ताक पर रह गये संविधान में किये गए वादे। और अनेकों सरकारों द्वारा बार-बार किये गये कोरे आश्वासन -
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गौ रक्षा एवं विकास के लिए तुरन्त उठाये जाने योग्य क़दम।
गौरक्षा एवं विकास विषय को समवर्ती सूची में लाकर केन्द्रीय कानून बनाकर गौहत्या पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगाया जाये तथा किसी भी आयु की गाय, साँड, बछिया अथवा बैल की हत्या मनुष्य की हत्या के बराबर दंडनीय अपराध घोषित किया जाये तथा गौमांस का निर्यात अविलम्ब बन्द किया जाये। गौरक्षा एवं हित के लिए बाकायदा केन्द्रीय मंत्रालय एवं मंत्री नियुक्त किया जाना चाहिए।
प्रत्येक ग्राम व नगर के पास पर्याप्त गोचर भूमि हो।
सरकारी पशु चिकित्सालयों तथा गर्भादान केन्द्रों में विदेशी नस्ल के सांडों के वीर्य से कृत्रिम गर्भाधान अविलम्ब बन्द किया जाये।
गौवंश के व्यापार को सरकार अपने हाथों में लेकर स्वायशासी निगम बनाकर उनके हाथों में दिया जाये।
गौवंश से प्राप्त तमाम औषधीयों के व्यापक प्रचार-प्रसार के साथ साथ उसे करमुक्त भी किया जाये जिससे लोग गायों की सेवा कर उनसे अधिकाधिक औषधीयां बनाकर जनसेवा कर सकें क्योंकि गौमूत्र समेत गाय के दूध एवं अन्य उत्पादों से कई असाध्य बीमारियों के शत प्रतिशत सही होने के कई प्रमाण सामने आ चुके हैं।
गौ को राष्ट्रमाता अथवा राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाना चाहिए। गौरक्षा, संरक्षण पालन-पोषण की व्यवस्था को शैक्षणिक पाठ्यक्रम में शामिल किये जाने की भी सुविधा प्राप्त कराई जाये।
गायों की व्यापक देखरेख करने के लिए चिकित्सालयों के अलावा भारत के प्रत्येक नगर में एक विभाग खोला जाये जिसमें अधिकारी टोल, सड़क अथवा अन्य स्थानों पर मिलने वाली लावारिस गौओ को गौशालाओं में ले जाने की व्यवस्था कर सकें। जिनसे वह किसी गौहत्यारें के चंगुल में न पड़ें।
यदि हम वेद पुराणों की बात को मानें तब भी कई बातें आज सच साबित हो रही हैं। अनेक पुराणों में स्पष्ट रूप से लिखा है कि गौहत्या से वातावरण में तनाव पैदा होता है। सभी देवी-देवता, पृथ्वी, जल, आकाश, वायु, अग्नि और परमात्मा का कोप मानव और पर्यावरण व वातावरण पर पड़ता है जिससे सूखा, बाढ़, भूकम्प जैसी प्राकृतिक आपदायें आती हैं। अत: माननीय प्रधानमंत्री आदरणीय मोदी जी से निवेदन है कि अब वे अपनी गौमाता की रक्षा और सेवा के लिए शीघ्रातिशीघ्र उपरोक्त बातों को संज्ञान में लेते हुए निश्चय ही ठोस कदम उठायेंगे। अब आपको तय करना है की गौ ह्त्या रोकने का बिल संसद मे कैसे पास करवाएँगे ??
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कुछ अंश साभार (राजीव दीक्षित यूटयूब)
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