💎( 1 ) प्रश्न : - ब्रह्माण्ड की रचना किससे हुई ?
☀️उत्तर : - ब्रह्माण्ड की रचना प्रकृति से हुई ।
💎( 2 ) प्रश्न : - ब्रह्माण्ड की रचना किस ने की ?
☀️उत्तर : — ब्रह्माण्ड की रचना निराकार ईश्वर ने की जो कि सर्वव्यापक है । कण - कण में विद्यमान है ।
💎( 3 ) प्रश्न : - साकार ईश्वर सृष्टि क्यों नहीं रच सकता ?
☀️उत्तर : - क्योंकि साकार रूप में वह प्रकृति के सूक्ष्म परमाणुओं को आपस में संयुक्त नहीं कर सकता ।
💎( 4 ) प्रश्न : - लेकिन ईश्वर तो सर्वशक्तिमान है । अपनी शक्ति से वो ये भी कर सकता है ।
☀️उत्तर : - ईश्वर की शक्ति उसका गुण है न कि द्रव्य । जो गुण होता है वो उसी पदार्थ के भीतर रहता है न कि पदार्थ से बाहर निकल सकता है । तो यदि ईश्वर साकार हो तो उसका गुण उसके भीतर ही मानना होगा तो ऐसे में केवल एक ही स्थान पर खड़ा होकर पूरे ब्रह्माण्ड की रचना कैसे कर सकेगा ? इससे ईश्वर अल्प शक्ति वाला सिद्ध हुआ । अत : ईश्वर निराकार है न कि साकार ।
💎( 5 ) प्रश्न : - लेकिन हम मानते हैं कि ईश्वर साकार भी है और निराकार भी ।
☀️उत्तर : - एक ही पदार्थ में दो विरोधी गुण कभी नहीं होते हैं । या तो वो साकार होगा या निराकार । अब सामने खड़ा जानवर या तो घोड़ा है या गधा । वह घोड़ा और गधा दोनों ही एक साथ नहीं हो सकता ।
💎( 6 ) प्रश्न : - ईश्वर पूरे ब्रह्माण्ड के कण - कण में विद्यमान है ये कैसे सिद्ध होता है ?
☀️उत्तर : - एक नियम है — ( क्रिया वहीं पर होगा जहाँ उसका कर्ता होगा ) तो पूरे ब्रह्माण्ड में कहीं कुछ न कुछ बन रहा है तो कहीं न कहीं कुछ बिगड़ रहा है । और सारे पदार्थ भी ब्रह्माण्ड में गति कर रहे हैं । तो ये सब क्रियाएँ जहाँ पर हो रही हैं वहाँ निश्चित ही कोई न कोई अति सूक्ष्म चेतन सत्ता है । जिसे हम ईश्वर कहते हैं ।
💎( 7 ) प्रश्न : - यदि ईश्वर सर्वत्र है तो क्या संसार की गंदी - गंदी वस्तुओं में भी है ? जैसे मल , मूत्र , कूड़े करकट के ढेर आदि ?
☀️उत्तर : - अवश्य है क्योंकि ये जो गंदगी है वो केवल शरीर वाले को ही गंदा करती है न कि निराकार को । अब आप स्वयं सोचें कि मल मूत्र भी किसी न किसी परमाणुओं से ही बने हैं तो क्या परमाणु गंदे होते हैं ? बिलकुल भी नहीं होते । बल्की जब ये आपस में मिल कर कोई जैविक पदार्थ का निर्माण करते हैं तो ये कुछ तो शरीर के लिए बेकार होते हैं जिन्हें हम गूदा द्वार या मूत्रेन्द्रीय से बाहर कर देते हैं । इसी कारण से ईश्वर सर्वत्र है । गंदगी उस चेतन के लिए गंदी नहीं है ।
💎( 8 ) प्रश्न : - ईश्वर के बिना ही ब्रह्माण्ड अपने आप ही क्यों नहीं बन गया ?
☀️उत्तर : - क्योंकि प्रकृति जड़ पदार्थ है और ईश्वर चेतन है । बिना चेतन सत्ता के जड़ पदार्थ कभी भी अपने आप गति नहीं कर सकता । इसी को न्यूटन ने अपने पहले गति नियम में कहा है : - ( Every thing persists in the state of rest or of uniform motion , until and unless it is compelled by some external force to change that state - Newton ' s First Law of Motion ) तो ये चेतन का अभिप्राय ही यहाँ External Force है
💎( 9 ) प्रश्न : - क्यों External Force का अर्थ तो बाहरी बल है तो यहाँ पर आप चेतना का अर्थ कैसे ले सकते हो ?
☀️उत्तर : - क्योंकि बाहरी बल जो है वो किसी बल वाले के लगाए बिना संभव नहीं । तो निश्चय ही वो बल लगाने वाला मूल में चेतन ही होता है । आप एक भी उदाहरण ऐसी नहीं दे सकते जहाँ किसी जड़ पदार्थ द्वारा ही बल दिया गया हो और कोई दूसरा पदार्थ चल पड़ा हो ।
💎( 10 ) प्रश्न : - तो ईश्वर ने ये ब्रह्माण्ड प्रकृति से कैसे रचा ?
☀️उत्तर : - उससे पहले आप प्रकृति और ईश्वर को समझे ।
💎( 11 ) प्रश्न : - प्रकृति के बारे में समझाएँ ।
☀️उत्तर : - प्रकृति कहते हैं सृष्टि के मूल परमाणुओं को । जैसे किसी वस्तु के मूल अणु को आप Atom के नाम से जानते हो । लेकिन आगे उसी Atom ( अणु ) के भाग करके आप Electron ( ऋणावेष ) , Protion ( धनावेष ) , Neutron ( नाभिकीय कण ) , तक पहुँच जाते हो । और उससे भी आगे इन कणों को भी तोड़ते हो तो positrons , Neutrinos , Quarks मैं बढ़ते जाते है । इस प्रकार से विभाजन करते - करते आप जाकर एक निश्चित मूल पर टिक जाओगे । और वह मूल जो परमाणु में जोड़ - जोड़ कर बड़े - बड़े कण बनते चले गए हैं वे ही प्रकृति के परमाणु कहलाते हैं । प्रकृति के तो परमाणु होते हैं । सत्य ( Positive + ) रजस् ( Negative - ) तमस् ( Neutral0 ) इन तीनों को सामूहिक रूप में प्रकृति कहा जाता है ।
💎( 12 ) प्रश्नः - क्या प्रकृति नाम का कोई एक ही परमाणु नहीं है ?
☀️उत्तर : - नहीं , ( सत्व , रज और तम ) तीनों प्रकार के मूल कणों को सामूहिक रूप में प्रकृति कहा जाता है । कोई एक ही कण का नाम प्रकृति नहीं है ।
💎( 13 ) प्रश्न : - तो क्या सृष्टि के किसी भी पदार्थ की रचना इन प्रकृति के परमाणुओं से ही हुई है ?
☀️उत्तर : - जी अवश्य ही ऐसा हुआ है । क्योंकि सृष्टि के हर पदार्थ में तीनों ही गुण ( Positive , Negative & Neutral ) पाए जाते हैं ।
💎( 14 ) प्रश्न : - ये स्पष्ट कीजिए कि सृष्टि के हर पदार्थ में तीनों ही गुण होते हैं , क्योंकि जैसे Electron होता है वो तो केवल Negative ही होता है यानि के रजोगुण से युक्त तो बाकी के दो गुण उसमें कहाँ से आ सकते हैं ?
☀️उत्तर : - नहीं ऐसा नहीं है , उस ऋणावेष यानी Electron में भी तीनों गुण ही हैं । क्योंकि होता ये है कि पदार्थ में जिस गुण की प्रधानता होती है वही प्रमुख गुण उस पदार्थ का हो जाता है । तो ऐसे ही ऋणावेष में तीनों गुण सत्व रजस् और तमस तो हैं लेकिन ऋणावेष में रजोगुण की प्रधानता है परंतु सत्वगुण और तमोगुण गौण रूप में उसमें रहते हैं । ठीक वैसे ही Proton यानी धनावेष में सत्वगुण की प्रधानता अधिक है परंतु रजोगुण और तमोगुण गौणरूप तीनों ही में हैं । और ऐसे ही तीसरा कण Neutron यानी कि नाभिकीय कण में तमोगुण अधिक प्रधान रूप में है और सत्व एवं रज गौणरूप में हैं । तो ठीक ऐसे ही सृष्टि के सारे पदार्थों का निर्माण इन गुणों से हुआ है । पर इन गुणों की मात्रा हर एक पदार्थ में भिन्न - भिन्न है । इसीलिए सारे पदार्थ एक दूसरे से भिन्न दिखते हैं ।
💎( 15 ) प्रश्न : - तीनों गुणों को और स्पष्ट करें ।
☀️उत्तर : - सत्व गुण कहते हैं आकर्षण से युक्त को , तमोगुण निषक्रिय या मोह वाला होता है , रजोगुण होता है चंचल स्वभाव को । इसे ऐसे समझे : - नाभिकम् ( Neucleus ) में जो नाभिकीय कण ( Neucleus ) है वो मोह रूप है क्योंकि इसमें तमोगुण की प्रधानता है । और इसी कारण से ये अणु के केन्द्र में निषक्रिय पड़ा रहता है । और जो धनावेष ( Proton ) है वे भी केन्द्र में है पर उसमें सत्वगुण की प्रधानता होने से वो ऋणावेष ( Electron ) को खींचे रहता है । क्योंकि आकर्षण उसका स्वभाव है । तीसरा जो ऋणावेष ( ELectron ) है उसमें रजोगुण की प्रधानता होने से संचल स्वभाव है इसीलिए वो अणु के केन्द्र नाभिकम् की परिक्रमा करता रहता है । दूर - दूर को दौड़ता है ।
💎( 16 ) प्रश्न : - तो क्या सृष्टि के सारे ही पदार्थ तीनों गुणों से ही बने हैं ? तो फिर सबमें विलक्षणता क्यों है ! सभी एक जैसे क्यों नहीं ?
☀️उत्तर : - जी हाँ , सारे ही पदार्थ तीनों गुणों से बने हैं । क्योंकि सब पदार्थों में तीनों गुणों का परिमाण भिन्न - भिन्न है । जैसे आप उदाहरण के लिए लोहे का एक टुकड़ा ले लें तो उस टुकड़े के हर एक भाग में जो अणु हैं वो एक से हैं और वो जो अणु हैं उनमें सत्व रज और तम की निश्चित मात्रा एक सी है ।
💎( 17 ) प्रश्न : - पदार्थ की उत्पत्ति ( Creation ) किसको कहते हैं ?
☀️उत्तर : - जब एक जैसी सूक्ष्म मूलभूत इकाईयाँ आपस में संयुक्त होती चली जाती हैं तो जो उन इकाईयों का एक विशाल समूह हमारे समाने आता है उसे ही हम उस पदार्थ का उत्पन्न होना मानते हैं । जैसे ईटों को जोड़ - जोड़ कर कमरा बनता है , लोहे के अणुओं को जोड़ जोड़ कर लोहा बनता है , सोने के अणुओं को जोड़ - जोड़कर सोना बनता है आदि । सीधा कहें तो सूक्ष्म परमाणुओं का आपस में विज्ञानपूर्वक संयुक्त हो जाना ही उस पदार्थ की उत्पत्ति है ।
💎( 18 )प्रश्न : - पदार्थ का नाश ( Destruction ) किसे कहते हैं ?
☀️उत्तर : - जब पदार्थ की जो मूलभूत इकाईयाँ थीं वो आपस में एक - दूसरे से दूर हो जाएँ तो जो पदार्थ हमारी इन्द्रियों से ग्रहीत होता था वो अब नहीं हो रहा उसी को उस पदार्थ का नाश कहते हैं । जैसे मिट्टी का घड़ा बहुत समय तक घिसता - घिसता वापिस मिट्टी में लीन हो जाता है , कागज को जलाने से उसके अणुओं का भेदन हो जाता है आदि । सीधा कहें तो वह सूक्ष्म परमाणु जिनसे वो पदार्थ बना है , जब वो आपस में से दूर हो जाते हैं और अपनी मूल अवस्था में पहुँच जाते हैं उसी को हम पदार्थ का नष्ट होना कहते है ।
💎( 19 ) प्रश्न : - सृष्टि की उत्पत्ति किसे कहते हैं ?
☀️उत्तर : - जब मूल प्रकृति के परमाणु आपस में विज्ञान पूर्वक मिलते चले जाते हैं तो अनगिनत पदार्थों की उत्पत्ति होती चली जाती है । हम इसी को सृष्टि या ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति कहते हैं ।
💎( 20 ) प्रश्न : - सृष्टि का नाश या प्रलय किसको कहते हैं ?
☀️उत्तर : - जब सारी सृष्टि के परमाणु आपस में एक - दूसरे से दूर होते चले जाते हैं तो सारे पदार्थ का नाश होता जाता है और ऐसे ही सारी सृष्टि अपने मूल कारण प्रकृति में लीन हो जाती है । इसी को हम सृष्टि या ब्रह्याण्ड का नाश कहते हैं ।
💎( 21 ) प्रश्न : - हम बिना किसी प्रकृति के सृष्टि की उत्पत्ति क्यों नहीं मान सकते ?
☀️उत्तर : - क्योंकि कारण के बिना कार्य नहीं होता । ठीक ऐसे ही प्रकृत्ति कारण है और सृष्टि कार्य है ।
💎( 22 ) प्रश्न : - क्यों हम ऐसा क्यों न मान लें कि सृष्टि बिना प्रकृति के शून्य से ही पैदा हो गई ? ऐसा मानने में क्या खराबी है ?
☀️उत्तर : - क्योंकि कोई भी पदार्थ शून्य से उत्पन्न नहीं हो सकता । भाव से ही भाव होता है , और अभाव से कभी भाव नहीं हो सकता ।
💎( 23 ) प्रश्न : - कोई भी वस्तु शून्य से क्यों नहीं बन सकती ?
☀️उत्तर : - क्योंकि कारण के बिना कार्य नहीं होता । अगर आप शून्य से उत्पत्ति मान भी लोगे तो आपको शून्य को कारण बोलना ही पड़ेगा और पदार्थ को उसका कार्य । लेकिन शून्य का अर्थ है Zero ( Nothing ) या कुछ भी नहीं । लेकिन शून्य कभी किसी का कारण नहीं होता । तो इसी कारण ऐसा मानना युक्त नहीं है ।
💎( 24 ) प्रश्न : - ऐसा मानना युक्त क्यों नहीं है ? शून्य किसी का कारण क्यों नहीं होता ?
☀️उत्तर : - क्योंकि जो जैसा कारण होता है उसका कार्य भी वैसा होता है । जैसे लड्डू की सामग्री से लड्डू ही बनेंगे , खीर नहीं । आटे से रोटी ही बनेगी , दलिया नहीं । दूध से पनीर ही बनेगा , शहद नहीं । तो ऐसे ही शून्य से शून्य ही बनेगा पदार्थ नहीं ।
💎( 25 ) प्रश्न : - तो अब ये बतायें कि प्रकृति से ब्रह्माण्ड के ये सारे पदार्थ कैसे बन गए ?
☀️उत्तर : - पहले प्रकृति से पंचमहाभूत बने : - आकाश , अग्नि , वायु जल , पृथिवी ।
💎( 26 ) प्रश्न : - आकाश तत्व क्या है और प्रकृति से कैसे बना ?
☀️उत्तर : - आकाश बोलते हैं खाली स्थान को या शून्य को ( Vaccumm ) और पहले जब प्रकृति मूल अवस्था में थी तो सारे प्रकृति परमाणु पूरे ब्रह्माण्ड में भरे हुए थे । और जब वो आपस में जुड़ने लगे तो जहाँ से वो हटते चले गए वहाँ रिक्त स्थान बनता गया उसी को सर्वत्र हम आकाश तत्व कहते हैं
💎( 27 ) प्रश्न : - अग्नि तत्व क्या है और प्रकृति से कैसे बना ?
☀️उत्तर : - जिसक तत्व के कारण गर्मी या ऊष्मा होती है उसे ही अग्नि तत्व कहते हैं । जब प्रकृति के परमाणु आपस में जुड़ रहे थे तो उनमें आपस में घर्षण ( रगड़ लगना ) हुआ । तो आपस में रगड़ने से गर्मी पैदा होती है उसी तत्व को हम अग्नि तत्व कहते हैं ।
💎( 28 ) प्रश्न : - वायु तत्व क्या है और प्रकृति से कैसे बना ?
☀️उत्तर : - जिसके कारण पदार्थों में वातता ( Gaseousness ) आती है , वही वायु तत्व होता है । जब प्रकृति के परमाणु आपस में जुड़ते चले गए तो जो पदार्थ बने वो तो धुआँदार ही थे क्योंकि उनके अणुओं में विरलापन था । जैसे कि Gasecus State में होता है । तो वही विरलापन वाला गुण ही वायु तत्व कहलाता है । तो कह सकते हैं कि सबसे पहले Gases ही अस्तित्व में आई ।
💎 ( 29 ) प्रश्न : - जल तत्व क्या है और प्रकृति से कैसे बना ?
☀️उत्तर : - जिसके कारण पदार्थों में तरलता आती है , वही जल तत्व होता है । जब प्रकृति के परमाणु आपस में जुड़ते - जुड़ते उस अवस्था तक पहुँच जाते हैं जहाँ पर उनमें पहले की अपेक्षा घनत्व और बढ़ जाता है । तो तरलता होने लगती है तो उसी तत्व को हम जल तत्व कहते हैं ।
💎( 30 ) प्रश्नः - पृथिवी तत्व क्या है और प्रकृति से कैसे बना ?
☀️उत्तर : - जिसके कारण पदार्थों में ठोसपन आता है , वही पृथिवी तत्व होता है । जब प्रकृति के परमाणु आपस में जुड़ते - जुड़ते उस अवस्था तक पहुँच जाते हैं जहाँ पर उनका घनत्व बहुत बढ़ जाता है तो एक दूसरे के बहुत पास होने के कारण पदार्थ ठोस ( Solid ) बन जाता है , तो यही पृथिवी तत्व का होना सिद्ध होता है ।
💎( 31 ) प्रश्न : - तो इन पंचतत्वों से सृष्टि कैसे बनी ?
☀️उत्तर : - परमाणुओं के आपस में बड़े स्तर पर जुड़ते जाने से यह सृष्टि बनी है । इसे हम आगे विस्तार से बताएंगे ।
💎( 32 ) प्रश्न : - सबसे पहले क्या हुआ ?
☀️उत्तर : - पूरे ब्रह्माण्ड के परमाणु आपस में एकत्रित होने लगे । ये सब विज्ञानपूर्वक जुड़ते चले गए । और बहुत ही बड़े स्तर पर ये संयुक्त होते गए ।
💎( 33) प्रश्न : - फिर संयुक्त होने के बाद क्या हुआ ?
☀️उत्तर : - तो बड़े स्तर पर जुड़ते जाने से बहुत से पदार्थों का बनना आरम्भ हो गया जिसमें ( Gases ( Helium , Neon , Hydrogen , NItrogenetc . ) और परमाणुओं के आपस में घर्षण ( Fiction ) से बहुत ही अत्यधिक तापमान ( Temperature ) की वृद्धि हुई । उदाहरण : - जब दो Hydogen Atom आपस में मिलकर Helium का एक Atom बनाते हैं । तो ये तापमान लगभग 10000000000 c० से भी ऊपर होता है । वैसे ही परमाणु बम्ब से भी इतना ही तापमान होता है जिसके कारण विस्फोट होता है और सब कुछ बर्बाद होता है । तो ठीक ऐसे ही छोटे कणों के आपस में जुड़ने से बहुत बड़ा भारी तापमान उत्पन्न होने लगा ।
💎( 34 ) प्रश्न : - तापमान के अधिक होने पर क्या हुआ ?
☀️उत्तर : - तो ऐसे ही ये पूरे ब्रह्माण्ड में एक विशाल आग का गोला तैयार हो गया । जो कि परमाणुओं के संयोग से बना था । और कणों के मिलने से गर्मी बढ़ी तो उसमें वैसे ही विस्फोट होने लगे जैसे कि परमाणु बम्ब द्वारा होते हैं , या सूर्य की सतह पर होते रहते हैं । जिसके कारण इस ब्रह्माण्ड के विशाल सूर्य में अग्नि प्रज्वलित हुई ।
💎( 35 ) प्रश्न : - यह जो विशाल सूर्य बना क्या इससे ही सारी सृष्टि बनी है ?
☀️उत्तर : - अवश्य इसी विशाल सूर्य से ही ब्रह्माण्ड में भ्रमण करने वाले पदार्थ बने ।
💎( 36 ) प्रश्नः - कैसे बने ?
☀️उत्तर : - फिर ईश्वर ने इसी विशाल सूर्य में एक बहुत ही बड़ा विशाल विस्फोट किया । इसी को हम Big Bang के नाम से जानते हें ।
💎( 37 ) प्रश्न : - क्या ये सब ईश्वर के द्वारा ही किया गया ?
☀️उत्तर : - हाँ , ऐसा ही है । क्योंकि ईश्वर कण - कण में व्याप्त एक अखण्ड ब्रह्म चेतन तत्व है जिसमें ज्ञान और क्रिया है जिसको कारण वो परमाणुओं को विज्ञानपूर्वक आपस में संयुक्त कर पाता है । उदाहरण के लिए समुद्र के पानी का उदाहरण लें : जैसे समुद्र के पानी में लकड़ी के कुछ टुकड़े तैर रहे हों । तो कभी - कभी वो टुकड़े आपस में कभी मिल भी जाते हैं क्योंकि समुद्र का पानी उनमें व्याप्त है और वैसे ही वो अलग भी हो जाते हैं या एक दूसरे से दूर भी हो जाते हैं । पर ध्यान रहे पानी में ज्ञान या चेतना नहीं है । तो ये ईश्वर में ही है जिसके कारण वो परमाणुओं का संयोग और विभाग कर पाता है ।
💎( 38 ) प्रश्न : - विशाल सूर्य में विस्फोट होने के बाद क्या हुआ ?
☀️उत्तर : — विशाल सूर्य में विस्फोट तब हुआ जब वह हैमवर्ण हो चला था ( नीले लाल रंग का ) क्योंकि तापमान अत्यधिक हो गया । और उसके कुछ जो बड़े - बड़े टुकड़े थे दूर - दूर हो गए । जिनको हम तारे कहते हैं और कुछ जलते हुए टुकड़े ऐसे भी रहे जिनके आसपास छोटे टुकड़े भ्रमण करने लगे या परिक्रमा करने लगे । ये बड़े टुकड़ों को सूर्य कहा गया और छोटे टुकड़ों को ग्रह नक्षत्र कहा गया । और इस एक भाग को ही सौरमण्डल कहा जाता है । तो ऐसे असंख्य सौरमण्डलों का निर्माण हुआ ।
💎( 39 ) प्रश्न : - तो फिर ये ग्रहों की अग्नि क्यों बुझ गई ? और हर सौरमण्डल में सूर्य अब भी क्यों तप रहे हैं ?
☀️उत्तर : - जैसे - जैसे छोटे टुकड़े दूर होते गए और बीच में अंतरिक्ष बनता गया । लेकिन परिक्रमा करने के कारण छोटे टुकड़ों की अग्नि जल्द शांत हो गई । जैसे मान लो कोई व्यक्ति लकड़ी के टुकड़े को आग लगाकर हाथ में लेकर दौड़े तो वायु के वेग से वो लकड़ी की आग शीघ्र ही समाप्त होगी । वैसे ही आग लकड़ियों के ढेर पर लगा कर रखोगे तो वो देर से शांत होगी । ठीक ऐसा ही कुछ सूर्य और नक्षत्रों के साथ हुआ । नक्षत्रों की अग्नि शांत हो गई क्योंकि वे तीव्र गति करते हैं । लेकिन सूर्य की गति धीमी है वो आकाश गंगा के केन्द्र के अपने से बड़े सूर्य की गति करता है । तो जब सूर्य की अग्नि शांत होगी प्रलय होगी । तो यही स्थिति ब्रह्माण्ड के सभी सौरमण्डलों की है ।
💎( 40 ) प्रश्न : - क्या सारे ब्रह्माण्ड के पदार्थ गतिशील हैं ?
☀️उत्तर : - नक्षत्रों के उपग्रह या चन्द्रमा नक्षत्रों की परिक्रमा करते हैं , पर अपनी कील पर भी घूमते हैं । वैसे ही नक्षत्र अपनी कील या अक्ष पर भी घूमते हैं और सूर्य की परिक्रमा भी करते हैं । सूर्य अपनी कील पर भी घूमता है और पूरे सौरमण्डल सहित आकाशगंगा के केन्द्र की परिक्रमा करता है । सारे पदार्थ गतिशील हैं और सबका आधार क्या है ? वो है सर्वव्यापक निराकार चेतन ईश्वर जिसके कारण जड़ पदार्थ गतिशील हैं । अंतरिक्ष और पूरे ब्रह्माण्ड में यत्र तत्र बड़े धुआँ दार बादल भी होते हैं जिनको वेदों में वृत्रासुर या महामेघ कहा जाता है । अंग्रेजी में इनको Nebula कहा जाता है समय - समय पर इन महामेघों का छेदन इन्द्र ( बिजली ) के द्वारा होता ही रहता है ।
0 Comments