नमकःचूना लगा केःःः
सन 80 तक नमक अपने प्राकृतिक रूप मे ढेले की शक्ल मे सभी जगह मिलता था।नमक ही एक ऐसा था जिसे अमीर और गरीब दोनों एक जैसा ही उपयोग करते थे।
पहाड़ी इलाकों मे आयोडीन की कमी से घेंघा रोग के लक्षण दिखाई देने से आयोडीन नमक का उपयोग करना सरकार ने जरूरी कर दिया, और यही से नमक पर देशी विदेशी बड़ी कम्पनियों ने कब्जा करना शुरू कर दिया, जो नमक एक रुपये मे दो किलो मिलता था,वह दो रुपये मे एक किलो हो गया।
कुछ वर्ष पूर्व किए किये वैज्ञानिक सर्वेक्षण द्वारा यह सिद्ध हुआ कि आयोडीन नमक के उपयोग से भी घेंघा रोग खत्म या कम नहीं हुआ है।
सन 80 के बाद नमक मे आयोडीन और अन्य तत्वों के नाम से डरा डरा कर और सफेद,फ्रीफ्लोइंग विशेषताओं के साथ बेचना शुरू किया जो अभी तक चल रहा है तथा दो रुपये की चीज 25से30 तक आराम से टिकाई जा रही है।
टीव्ही पर अनिल कपूर एक नये नमक का प्रचार करते दिखाई दिए,जो 99रुपये का एक किलो है, जिसमें अनेक तत्व का दावा कर रहे हैं तथा नेचुरल बता रहे हैं।अनिल कपूर साहब,नमक नेचुरल है, उसे आपने और नेचुरल कैसे बना दिया, नमक तो नमक ही रहेगा, टानिक तो बन नहीं जायेगा।
प्रचार आते ही यह भी धडल्ले से बिकना चालू हो जायेगा, क्योंकि अपने देश मे प्रचार से ही सब कुछ बिकता है।
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