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रोचक एतिहासिक ज्ञान...
१८०८ में ईस्ट इंडिया कंपनी पूरी के जगन्नाथ मंदिर को अपने कब्जे में लेती हे और फिर लोगो से कर बसूला जाता हे, तीर्थ यात्रा के नाम पर.. चार ग्रुप बनाए जाते हैं.. और चौथा ग्रुप जो कंगाल हे उनकी एक लिस्ट जारी की जाती हे....
१९३२ में जब डॉ आंबेडकर अछूतों के बारे में लिखते हैं, तो वे ईस्ट इंडिया के जगनाथ पुरी मंदिर के दस्तावेज की लिस्ट को अछूत बना कर लिखते हैं....
भगवान् जगन्नाथ के मंदिर की यात्रा को यात्रा कर में बदलने से ईस्ट इंडिया कंपनी को बेहद मुनाफ़ा हुआ और यह 1809 से 1840 तक निरंतर चला जिससे अरबो रूपये सीधे अंग्रेजो के खजाने में बने और इंग्लैंड पहुंचे.
यात्रियों को चार श्रेणियों में विभाजित किया जाता था .
प्रथम श्रेणी = लाल जतरी (उत्तर के धनी यात्री )
द्वितीय श्रेणी = निम्न लाल (दक्षिण के धनी यात्री )
तृतीय श्रेणी = भुरंग ( यात्री जो दो रुपया दे सके )
चतुर्थ श्रेणी = पुंज तीर्थ ...(कंगाल की श्रेणी जिनके पास दो रूपये भी नही , तलासी लेने के बाद )..
चतुर्थ श्रेणी के नाम इस प्रकार हे .
१. लोली या कुस्बी ,२ कुलाल या सोनारी ३ मछुवा ४ नामसुंदर या चंडाल 5 घोस्की 6 गजुर ७ बागड़ी 8 जोगी 9 कहार १० राजबंशी ११ पीरैली १२ चमार 13 डॉम 14 पौन १५ टोर १६ बनमाली १७ हड्डी
प्रथम श्रेणी से १० रूपये , द्वितीय श्रेणी से 6 रूपये , तृतीय श्रेणी से २ रूपये और चतुर्थ श्रेणी से कुछ नही ..
जो कंगाल की लिस्ट है जिन्हें हर जगह रोका जाता था और मंदिर में नही घुसने दिया जाता था। आप यदि उस समय 10 रूपये भर सकते तो आप सबसे अच्छे से ट्रीट किये जाओगे।
डॉ आंबेडकर ने अपनी lothian commtee report में यही लिस्ट का जिक्र किया हे...और कहा हे , कंगाल पिछले १०० साल में कंगाल ही रहे......
In regard to the depressed classes of Bengal there is an important piece of evidence to which I should like to call attention and which goes to show that the list given in the Bengal Census of 1911 is a correct enumeration of caste which have been traditionally treated as untouchable castes in Bengal. I refer to Section 7 of Regulation IV of 1809 (A regulation for rescinding Regulations IV and V of 1806 ; and for substituting rules in lieu of those enacted in the said regulations for levying duties from the pilgrims resorting to Jagannath, and for the superintendence and management of the affairs of the temple; passed by the Governor-General in Council, on the 28th of April 1809) which gives the following list of castes which were debarred from entering the temple of Jagannath at Puri : (1) Loli or Kashi, (2) Kalal or Sunri, (3) Machhua, (4) Namasudra or Chandal, (5) Ghuski, (6) Gazur, (7) Bagdi, (8) Jogi or Nurbaf, (9) Kahar-Bauri and Dulia, (10) Rajbansi, (II) Pirali, (12) Chamar, (13) Dom, (14) Pan, (15) Tiyar, (16) Bhuinnali, and (17) Hari.
The enumeration agrees with the list of 1911 Census and thus lends support to its correctness. Incidentally it shows that a period of 100 years made no change in the social status of the untouchables of Bengal.
वही कंगाल बाद में अछूत बने। ध्यान दीजिये महार शब्द का उल्लेख तक नही है। (सबसे रोचक)
ईस्ट इंडिया कंपनी की report...
। सीधे वेबसाइट पर जा कर पढ़े ।
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