कठमुल्लों को सीधा करना लंका से सीखो !

भारत के मुल्ले मौलवियों ( कठमुल्लों ) का स्वभाव बन गया है कि वह हर उस बात का विरोध करते हैं , जो देश और भारतीय परंपरा से सम्बंधित हो , जैसे विश्व योग दिवस का विरोध करना , “भारत माता की जय ” बोलने से इंकार करना , वन्दे मातरम ” बोलना शरीयत के खिलाफ बता कर फतवे देकर मुसलमानों को भड़काना , इत्यादि , इन लोगों का कुतर्क है कि ऐसा करना इस्लामी शरीयत के खिलाफ है , और कहते हैं कि संविधान ने हमें अपनी धार्मिक मान्यताओं का पालन करने का अधिकार दिया है , सरकार हमें वन्दे मातरम और भारत माता की जय बोलने पर मजबूर नहीं कर सकती , दुर्भाग्य से कुछ सेकुलर दोगले भी इन कठमुल्लों के सुर में सुर मिला कर भौंकने लगते हैं
इन मुल्लों की हिम्मत इसलिए बढ़ी हुई है , क्योंकि भारत एक हिन्दू राज्य नहीं है , जबकि हमारे पड़ौसी देश श्री लंका ने मुल्लों की नाक में नकेल डाल राखी है , भारत की तरह लंका में भी देश को माता माना जाता है , वहां भी मुसलमान हैं , वहां भी वही कुरान ,और वही शरीयत है जो भारत में है , लेकिन वहां के मुस्लिम ख़ुशी ख़ुशी लंका का राष्ट्र गान गाते है,
इस बात को स्पष्ट करने के लिए हमें श्री लंका और उसके राष्ट्रगान के बारे में कुछ जरूरी जानकारी होना जरूरी है
1-श्री लंका की जनसंख्या
सन 2012 की जन गणना के अनुसार धर्म के आधार पर लोगों की संख्या इस प्रकार है
1-बौद्ध (थेरावाद ) -70.19% -यह श्री लंका का राष्ट्रिय धर्म है
2-हिन्दू -12.6%
3-मुस्लिम – 9.7% -सभी सुन्नी है कुल संख्या है -1,967,227 (एक करोड़ छियानवे लाख सात हजार सात सौ सत्ताईस )
4-ईसाई (कैथोलिक व् अन्य -7.4% +1.3%
2-श्री लंका का राष्टगान
लंका के राष्ट्र गान का नाम “श्री लंका माता ” है , इनके रचयिता का नाम “आनंद समर कून ” था , और ब्रटिश नाम Egodahage George Wilfred Alwis था ,अंगरेजों के समय लंका में हरेक नागरिक का ब्रिटिश नाम रखने का कानून था समर कून का जन्म 13 जनवरी 1911 में हुआ था , जब रविंद्र नाथ टैगोर ने शांति निकेतन में विश्व भारती विद्यालय की स्थापना की थी तो उनसे मिलने समरकून आये थे , यह 1944 की बात है , उस समय श्री लंका स्वतंत्र हो चूका था , समर कून द्वारा रचित लंका के राष्ट्र गान को सुन कर टैगोर बहुत प्रभावित हुए थे , उसी से प्रेरित होकर उन्होंने भारत का राष्ट्रगान बनाया था .
3-श्री लंका माता
श्री लंका का राष्ट्र गान काफी लम्बा है , लेकिन इसमें संस्कृत और सिंहली शब्द मिले हुए हैं जिन्हें आसानी से समझा जा सकता है , यहाँ पर पहला पद हिंदी में दिया जा रहा है
” श्री लंका माता अप श्री लंका
नमो नमो नमो माता
सुन्दर सिरि वरिणी
सुरेंदी अति शोभामन लंका
धन्य धन्य नेका
मल पल तुरु पिरि जय भूमि रम्या
अप हत सिरि सेत सदना
जीवनए माता
पिलिगनु मेना अप भक्ति पूजा
नमो नमो माता अप श्री लंका
नमो नमो नमो माता ”
नोट -यदि आप ध्यान से लंका के इस राष्ट्रगान को ध्यान से पढ़ेंगे तो देखंगे की इसमें साफ साफ शब्दों में देश की भक्ति करने और देश की पूजा करने को कहा गया है , और लंका के सभी नागरिक इस राष्ट्र गान को आदर से गाते हैं , कोई मुसलमान इन शब्दों का विरोध नहीं करता , और श्री लंका के सभी स्कूलों और मदरसों में राष्ट्रगान गाना अनिवार्य है , हम यहाँ के मुल्लों से पूछना चाहते हैं कि क्या लंका का राष्ट्र गान “श्री लंका माता ” गाने से लंका के लगभग दो करोड़ मुस्लिम काफिर हो गए ?क्या लंका में कोई अलग कुरान , हदीस और शरीयत है ? यदि नहीं तो फिर यहीं के मुल्ले भारत माता की जय कहने और राष्ट्रगीत वन्दे मातरम गाने को इस्लाम के लिए खतरा क्यों बताते हैं ?
साफ़ बात है कि इन दुष्ट मुल्लों का एकमात्र उद्देश्य किसी न किसी बहाने हिन्दुओं का विरोध करना ही है !
4-लंका के मुल्ले विरोध क्यों नहीं करते
जैसे यहाँ के कठमुल्ले शरीयत की आड़ लेकर वन्दे मातरम , और भारत माता की जय बोलने का विरोध करते हैं , लंका के मुल्ले नहीं करते इसके दो मुख्य कारन हैं
पहला – लंका सरकार सेकुलरिज्म को नहीं मानती और न मुस्लिमों की तुष्टिकरण करती है न उनको मदरसों और हज के लिए अनुदान देती है , सरकार जानती है कि ऐसा करने से मुसलमान और शेर हो जायेंगे , नयी नयी मांगें करेंगे , सरकार को कंगाल कर देंगे
दूसरा – कारण है की लंका में राष्ट्रीय प्रतीकों जैसे ध्वज का अपमान करना , या राष्ट्रगान गाने से इंकार करना दंडनीय अपराध है ,इसे
अतिवाद (Extremism )सम्प्रदायवाद ( Communalism ) और अराष्ट्रीयवाद (Anarchy ) माना जाता है , इसकी सजा मृत्यु दंड या उम्र कैद हो सकती है
those who objected to it were branded as “Extremists”, “Communalists” and “Anarchists”
हमारा उन सभी बी जे पी के नेताओं से अनुरोध है कि अगर उनमे रत्ती भर भी बुद्धि हो तो वह अपने पड़ौसी देश लंका से सीखें की उन्होंने मुल्लों की नाक में नकेल कैसे डाली है ,
मेरे विचार से मुल्ला शाही आतंक को समूल नष्ट करने का एकहि उपाय है वह है देश को हिन्दू राष्ट्र घोषित कर दिया जाये !
न होगा बांस और न बजेगी बांसुरी

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