जितने भी मुस्लिम महल, स्थापत्य, वगैरह हैं ....सारे हिन्दू मंदिरों, स्थापत्यों पर बने हैं ।

.#साभार : #सुधीर_व्यासजी

जितने भी मुस्लिम महल, स्थापत्य, वगैरह हैं ....सारे हिन्दू मंदिरों, स्थापत्यों पर बने हैं ।

जो इस्लाम तुर्की - ईरान - स्पेन तक में और अरब में कलात्मक किले, महल, स्मारक, मकबरे ना बनवा सका , जिस उज्बेकिस्तान में आज तक तमीज का ना महल है ना किले ना मकबरे ना ही कोई कलात्मक स्मारक ...वो इस्लाम या मोगुल (मुगल) भारत में लाल किला, इमामबाडे, ताजमहल वगैरह वगैरह कैसे बना लेता है?

जिस इस्लाम के अरब मे, उज्बेकिस्तान, तुर्की, ईरान में हुक्के, चोगे, पत्थर के तीन टुकडे समेत सैफ और सूफी
(यानि इस्लाम की तलवार और इस्लाम का प्रचार प्रसार करते प्रचारक) का ही इजाद किया वो भारत आ कर कलात्मक कैसे बन गये कि भारत को 700 साल की अपनी उपलब्धियाँ बताने लग पडे वो भी यहीं के कन्वर्टेड भगौडे, अरबी नाम हिन्दू जात ढोते बे'ईमानवाले?

जिस इस्लाम ने आगमन से ले कर हर मौके पर भारत में संग्रहित पुस्तकालयों, विद्यालयों, ग्रंथों ,आस्था स्थलों सहित पूजा स्थलों का विध्वंस करते हुऐ तत्कालीन हिन्दू जनता का नरसंहार ही किया हो, लूटपाट ही की हो, वसूली से ले कर बलात्कार ही किये हों वो कलात्मक, सहिष्णु तो मुस्लिम लीग बन कर 1906 में भी नहीं हुआ था, वो इस्लाम मय अपने मुसलमान सहिष्णु तो 1919 के मोपलाह में भी नहीं हुआ था, ना वो 1945 - 46 में सहिष्णु हुआ,  ना ही 1947-48 में सहिष्णु हुआ ,,, वो अमन का मजहब इस्लाम फिर 1989-91 तक कश्मीर में भी सहिष्णु नहीं हुआ, वो इस्लाम मुंबई में 1992-93 में भी सहिष्णु नहीं हुआ ना आजाद मैदान पर इकट्ठा हो कर सहिष्णु बन पाया,तत्पश्चात् वो इंपोर्टेड़ इस्लाम अपने इम्पोर्टेड़ मुसलमानों के साथ आसाम में 2012-13 में भी सहिष्णु नहीं बन पाया, ना ही वो 2013-14 में मुज्जफरनगर में सहिष्णु बना और ना ही वो भारत में इस्लाम, ईसाईयत की पहली भूमि केरल में ही आज तक सहिष्णु बन पाया ...क्यों और कैसे, ये इस्लाम तो ताजमहल, लाल किला, इमामबाड़े, मजारें, मकबरे, दरगाहें, महल वगैरह वगैरह बनाता रहा था ना या फिर जो तुम मुसलमानों के आका कहो या तुम्हारे तथाकथित मर्दे मुजाहिदों की जीवनियों  #तुजुके_तैमूरी , #फतवा_ऐ_जहांदारी , #हुंमायूंनामा , #बाबरनामा , #बादशाहनामा में लिखा है वो गलत लिखा है क्या..अलबरूनी ने #किताब_उल_हिन्द  में जो लिखा है वो गलत लिखा है क्या..??

आज भी तुम्हारा इस्लाम वही कर रहा है जो हम ने यहां झेला है, वो यूनीवर्सिटी, विद्यालय बंद करा रहा है, गैर मुसलमानों में यजीदी मार रहा है, ईसाई, यहूदी मार रहा है,  मंदिर, चर्च, पुस्तकालयों को ध्वस्त करके जला रहा है, पुरातन स्मारकों को ध्वस्त करके बिगाड रहा है ताकि कोई सबूत बचे ही नहीं और आराम से कहा जा सके कि इस्लाम ही यहाँ शुरूआत से कायम है, हम पर सब लिखा है तुम पर क्या है, क्या सबूत है कि 'तुम थे' ,, तुम्हारा था ??

ये गलीज़ हरकतें अब ना चलने की सुसरों, तुम्हारा पहले भी कुछ नहीं था, आज भी कुछ नहीं है, ना आगे होगा, तुम कल भी जूते सिर पर रख कर नंगे पांव घूमते थे और घूमते रहोगे ..  लेकिन बताओ इस्लाम कलात्मक कब हुआ ... कहाँ हुआ .. कब्जे करके मॉडीफाईड़ करके कब तक अपना बताते रहोगे अरबों की ही तरह ,यहूदी अब्राहम को इब्रैहिम बता कर, यहूदी अब्राहम के पूजा स्थल को कब्जा कर, यहूदियों को ही मार रहे हो, दुश्मन काफिर कह रहे हो,, उस यहूदी की जीवन घटना पर बकरे काट के अपना त्यौहार मना रहे हो वो भी यहूदी मारने की इच्छाओं के साथ ,, अरे चोर डाकुओं कब तक लूट को, चोरी को अपना माल, अपना हक कहोगे पूरी दुनिया में, जो हिन्दुस्तान में नालंदा, तक्षशिला से लेकर सोमनाथ, मथुरा, हम्पी आदि सब जगहों पर किया वही तुम लोग अब तक सीरीया इराक में कर रहे हो..??

अब यहाँ भारत में अल्लोपनिषद और कल्कि अवतार समेत भविष्यपुराण में मोहम्मद लिखे होने के ड्रामे शुरू कर दिये ..तुम पर अपना है क्या बे , हुक्के बुर्के, सैफ़ और सूफी के सिवा ?

कहते हैं कि इस्लाम में कुरान और शरीयत के सिवा दूसरी मजहबी और धार्मिक किताबों पर इमान लाना, उनकी बातें करना गुनाह है, कुफ्र है ... सो अपनी पर ही ईमान ला लो बे'ईमानवालों?

बस य़े बता दो जो इस्लाम तुर्की - ईरान - स्पेन तक में और अरब में कलात्मक किले, महल, स्मारक, मकबरे ना बनवा सका , जिस उज्बेकिस्तान में आज तक तमीज का ना महल है ना किले ना मकबरे ना ही कोई कलात्मक स्मारक ...वो इस्लाम या मोगुल (मुगल) भारत में लाल किला, इमामबाडे, ताजमहल वगैरह वगैरह कैसे बना लेता है ??
#जिज्ञासाऐं

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