अकबर के लिए पानीपत का युद्ध निर्णायक था हारने का मतलब फिर से काबुल जाना ! जीतने का अर्थ हिंदुस्तान पर राज ! पराक्रमी हिन्दू राजा हेमू के खिलाफ इस युद्ध मे अकबर हार निश्चित थी लेकिन अंत मे एक तीर हेमू की आँख मे आ घुसा और वह मूर्छित हो गया घायल हो कर और उसका हाथी महावत को लेकर जंगल मे भाग गया ! सेना तितर बितर हो गयी और अकबर की सेना का सामना करने मे असमर्थ हो गई ! हेमू को पकड़ कर लाया गया अकबर और उसके सरंक्षक बहराम खान के सामने भारत में "सेकुलर और महान" प्रचारित किये गये जल्लाद अकबर ने लाचार और घायल मूर्छित हेमू की गर्दन को काट दिया और उसका सिर काबुल भेज दिया प्रदर्शन के लिए उसका बाकी का शव दिल्ली के एक दरवाजे पर लटका दिया गया जिस से जलालुद्दीन अकबर कोई दूसरा हिन्दू चुनौती न दे सके .
क्या इसी को कहा जाता है महानता ?
अकबर जब अहमदाबाद आया था 2 दिसंबर 1573 को तो 2000 विद्रोहियो के सिर काटकर उससे पिरामिण्ड बनाए थे ! जब किसी विद्रोही को दरबार मे लाया जाता था तब उसके सिर को काटकर उसमे भूसा भरकर तेल सुगंधी लगा कर प्रदर्शनी लगाता था "अकबर महान"। बंगाल के विद्रोह मे ही अकेले उस महान अकबर ने करीब 30000 लोगो को मौत के घाट उतारा था ! अकबर के दरबारी भगवनदास ने भी इन कुकृत्यों से तंग आकार स्वयं को ही छुरा भोंक कर अत्महत्या कर ली थी। चितौडगड़ के दुर्ग रक्षक सेनिकों के साथ जो यातनाए और अत्याचार अकबर ने किए वो तो सबसे बर्बर और क्रूरता पूर्ण थे।
आज ही के दिन अर्थात 20 नवम्बर 1568 को अकबर ने अलाउद्दीन से भी अधिक क्रूरता दिखाते हुए रानी पद्मिनी की विरासत चित्तौडगढ़ के किले पर आक्रमण किया. उसने कत्लेआम और लूट का आदेश दिया। हमलावर पूरे दिन लूट और कत्लेआम करते रहे विध्वंश करते घूमते रहे एक घायल गोविंद श्याम के मंदिर के निकट पड़ा था तो अकबर ने उसे हाथी से कुचला ! आठ हजार योद्धा राजपूतो के साथ दुर्ग मे 40,000 किसान भी थे, जो देख रेख और मरम्मत के कार्य कर रहे थे ! कत्ले आम का आदेश तब तक वापस नहीं लिया जब तक उसमे से 33000 लोगो को नहीं मारा , अकबर के हाथो से ना तो मंदिर बचे और ना ही मीनारें ! अकबर ने कुल जितने भी युद्ध लड़े है उसमे उसने लगभग 20,00000 (बीस लाख) लोगो को मौत के घाट उतारा !
तो क्या इसे ही महान कहते है ?
इस देश के सेक्यूलर जवाब दें?
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