जिहादि

कहते हैं जब नादिर शाह ने दिल्ली पर कब्ज़ा किया था, तो जामा मस्जिद के ऊपर चढ़कर एक तलवार छत पर गाड़ दी थी और अपने जिहादियों को हुक्म दिया था कि जब तक ये तलवार ना उठे, क़त्ल-ए-आम ना रुके..
और रुका भी नहीं!

अहमद शाह अब्दाली जब लाहौर से निकला, तो ये हुक्म दिया कि वापस आऊं तो शहर के चारों तरफ छकड़ों में नरमुंड का सैलाब हो..
और यह हुआ भी!

इनको सिर्फ लुटेरा बताकर इतिहास ख़त्म कर देने वाले वामी दोगले जब औरंगजेब को माननीय बताने लगते हैं, तो हैरानी कैसी!? ये तो इनके नायक हैं..

दिल्ली में एक लाख लोगों को काटने वाला तैमूर हो या राजपूतों के खून का प्यासा अल्लाउद्दीन खिलजी..
ये सब इनके नायक हैं! तारिक-बिन-जियाद से लेकर ओसामा बिन लादेन तक सब माननीय हैं..
किसको फर्क पड़ता है कि गुरु तेग बहादुर के साथ क्या हुआ? या संभाजी के साथ क्या हुआ..?

सहिष्णुता सिखाता है ना हिंदुत्व.. तो ये सब स्वीकार करो! अपने पूर्वजों के कातिलों को अपना भगवान स्वीकार करो और तब तक करो जब तक कि स्वयं ख़त्म ना हो जाओ! 😠

तुम्हारे पास गंधार नहीं रहा, लाहौर नहीं रहा, सिंध, ननकाना साहिब, हिंगलाज भी नहीं रहा..
और तुम्हारा वहम हट जाए तो जानोगे कि कश्मीर, बंगाल और केरल भी लगभग छिन ही चुके हैं। मगर जाने दो, कौन बेवकूफ सोचे..
टी.वी. खोलो रे.. तैमूर की अम्मी की फिल्म आ रही है..
😠

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