ओशो के सच

इसे क्यों पोस्ट किया गया? ये कहानी तो ओशो के शिष्य ने लिखी है। कोई शराबी मधुशाला को बुरा नहीं कहता।
और इस पोस्ट का कोई बजह ही नही बनता। हर दिन तो यही दिखाया जाता है ओशो के शिविर में।
फिर भी यदि जबाब कि उम्मीद से पोस्ट किए हो तो सुनते जायो।

एक था अर्जुन, वो भी युद्ध नहीं करना चाहता था। आगे की कहानी तुम्हे पता ही होगी।

ओशो ने प्रेम का नहीं अकर्मण्यता का पाठ पढ़ाया था। उसने तो तकिया पीटने का पाठ पढ़ाया था। आपका बोस आपको गालियां दी, आपको पीते और आप घर जा कर तकिया पीटो। सम्भव है सबने अमेरिका का नाम लिख ढेरों तकिये फाडे होंगें।

और मेरी बातों पर यकीन न हो तो खुद देख लो, ओशो के कोई फॉलोवर इतना टेंशन ले सकता है क्या कि किसी को जेल जे कैसे निकलना है, केस कैसे लड़ना है, इत्यादि। उसे तो मन की शांति चहिये, मानों में विचार नहीं चलने चहिये, तभी तो वो ध्यान कर पायेगा। हकीकत ये है कि ओशो ने नसेड़ी और नपुंसक शिष्य बनाये थें जो न तो उसे छुड़ा सकते थे, न लड़ सकते थे। गलत के खिलाफ आवाज उठाना आपका कर्तव्य है। और हमारे संस्कृति और संस्कार भगवान कृष्ण का है।

आज ही देख लो, मैन कइयों के विरोध में बाते लिखी पर जब जोशी के विरोध में लिखा तो क्या हुआ, अधिकतर ओशो के ग्रुप से मुझे निकाल दिया गाया, क्योंकि उनमें लड़ने की ताकत ही नहीं बची है। हाकिकित ये है कि उनका दिमाग इतना कंजर हो चुका है कि वो थोड़ा सा भी तर्क नहीं सुन सकते, वो किसी से तर्क नहीं कर सकते, और आलम यही रहा तो घर परिवार की थोड़ी सी परेशानियों को वो सह नहीं पाएंगे और शांति के लिए वो उसे छोड़ भागेंगे। और मेरी बातों पर तो तर्क करने की जरूरत ही नहीं है, रिजल्ट्स अपने आस पास ही देख लो।

और जैसे कि तुमने कहा कि ओशो बहुत बड़े तार्किक व्यक्ति थे। यदि ऐसा है तो उन्होंने ये ज्ञान अपने शिष्यों को क्यों नहीं दिया, कि अपने विरोधियों से तर्क करो और उसे पराजित करो। उन्होंने अपने किसी कीे  भी व्याखयान में ये क्यों नहीं सिखाया की तर्क को कैसे काट जाए? उनकी तरह विद्वान कैसे बना जाए? इसी से शक की बू आती है।

मैन बार बार कहा है फिर कहता हूं, ओशो खुद तो विद्वान था पर वो चाहता ही नहीं था कि उसके शिष्य दिमाग का इस्तेमाल करें, यदि ऐसा वो करते तो उनकी पोल खुल जाती। तभी तो वो ज्ञान देते हैं, बीज में पेड़ है, किसी तर्क से प्रमाणित करोगे, तर्क मत करो, प्रेम से समझो, मुझे प्रेम से समझो, यदि ऐसा है तो वो खुद इस ज्ञान का पालन क्यों नहीं करते? वो खुद तर्क करना क्यों नहीं छोड़ते? जिस ओशो के शिष्य के पास मेरे इस सवाल का जबाब हो वो दे।

मैं तुम्हारे सारे सबलों का जबाब दे सकता हूँ, पर हाकिकित है कि तुम मेरे पोस्ट पो पूरा पढोगे भी नहीं, जबकि मैन तुम्हारी कहानी को पूरा पढ़ा।

क्या तुम ये कहना चाहते हो कि भारत के सारे प्रधानमंत्री समझदार थें और अमेरिका के राष्ट्पति और CIA बेबकुफ़ थी? सच्चाई तो सबको पता थी, याकि की अमेरिका ओसामा को पाकिस्तान में घुस कर मरता है और दाऊद अब भी पाकिस्तान में आराम से राहत है।

तुम्हारा कोई और आरोप हो तो बतायो।

अमेरिका ने उसे क्यों मरवाया इसपे तो उसने खुद बहुत सोच होगा। पर सवाल ये है कि इतना ही अच्छा काम किया था उसने अमेरिका में तो फिर भारत में क्यों नहीं?? अमेरिका में ही क्यों?? रामराज उसने अमेरिका में ही क्यों बसाया, किसी के पास इस सवाल का भी जबाब हो तो दे। सबसे पहला तो यहाँ बैठा कर उसका पेट पालने वाला कोई नहीं था।  कि वो दिन भर भाषण दे और लोग उनको खाना दें, उस वक्त भारत खुद आकाल म् फंसा था, और ओशो अमेरिका में ऐश कर रहा था। कहाँ गया उसका प्रेम? इतनी सुविधा थी तो अमेरिका के लोगों को दी, फ्री में, जिन्हें फ्री में चहिये ही नहीं था, हमें दे न फ्री में, हम भी नाम लेंगे। और फ़्री तो ऐसे बोल रहे हो जैसे ओशो कमा कमा कर सबको खिला रहा था, किसी से ले कर दूसरों को दे कर खुद नाम कमाना, पता नहीं कैसे बेबकुफ़ फॉलकोवेर्स हैं ओशो के, उसके हर गलत काम में भी सेवा भाव देखते हैं, अद्भुत।
दूसरा कारण, वो इसलिए अमेरिका भाग, क्योंकि वहाँ मेरे जैसे लोग नहीं हैं। ये देश है जहाँ हर घर में विवेकानंद, और दयानंद स्वरस्वती जैसे लोग जन्म लेते हैं। यहाँ हर कोई ओशो है। और वो जनता था कि यदि मेरी भेंट मेरे ही जैसे किसी से हो गई तो मेरी सारी विद्वता धरी की धरी रह जायेगी।
तीसरा, हमारे देश की ये विंडबना है कि यहाँ घर की मुर्गी दाल बराबर है, वो जनता था कि वो अमेरिका में आराम से फेमस होगा और वहां से हर जगह चमक बिखेरी जा सकते है। वरना कोई बताये अमेरिका ही क्यों? अमेरिका से ज्यादा आबादी तो सिर्फ उत्तर प्रदेश में है, तो ओशो के ज्ञान की जय जरूत्त किसे थी? फ्री में सेवा की जरूरत किसे थी? वो जनता था कि यहाँ भूखों की फौज है, फ्री कह दिए तो उसे भी चबा जाएगा, जबकि अमेरिका में फ्री कहोगे तब भी वो पैसे दे जाएगा।। वो घर बसा कर वहीं राह गया, और आजीवन वहीं रहने का प्लान था, उसने तो कभी भारत के बारे में सोचा ही नहीं। और हमारी तो आदत है, चूंकि राहुल गांधी विदेश से पढ़ कर आया है इसलिए वो मोदी से ज्यादा विद्वान हैं।

और ओशो पे आरोप क्या था वो भी जानो, वो भारतीय लड़के लड़कियों को अमेरिकी लोगो से विवाह करने को उसका रहा था, जिससे उनलोगों को अमेरिका की नागरिकता मिल जाये।

लास्ट, अमेरिका किसी भी देश में राष्ट्रीय सुरक्षा के फैसले अकेले राष्ट्पति या प्रधनमंत्री नहीं लेता, उसके पास, ओशो जैसे बड़े बड़े विद्वानों की फौज होती है, जिसे विरोक्रेट्स कहते हैं। यदि उनलोगों ने ओशो से देश को खतरा देखा होगा तभी अंदर करवाया होगा। अब उसपे लगाए आरोप कितने सही हैं ये तो CIA ही बताएगी। ये न मुझे पता है और न ओशो के जिस भक्त ने ये पोस्ट लिखा है उसे पता है। और ओशो को मारना ही होता तो तुन्हें भी पता है CIA के लिए ये कितना आसान काम था, वो बिना गिरफ्तार किए भी उसे जहर दे कर मरवा सकता था। और मेरे जैसे किसी भी उसके विरोधी का नाम ले सकता था।

अब रहा ओशो के कोर्ट में जबाब का, तो वो और क्या बोलता, वो तो चाह रहा होगा कि उसके फॉलोवर्स दिन रात मेहनत कर के किसी तरह मुझे यहाँ से निकाले, पर उसने जो निक्कमे अपने फ़ॉलोवेर्स बनाए थे, वो उसी पर महंगे पड़े।

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